व्रज – चैत्र शुक्ल द्वादशी, शनिवार, 20 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- विशेष मल्लकाछ टीपारा पे खुलेबंध के विशिष्ट श्रृंगार एवं माखन चोरी की पिछवाई
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में माखन-चोरी लीला के चित्रांकन वाली सुंदर पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज लाल रंग का रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित मल्लकाछ तथा इसी प्रकार लाल सफ़ेद लहरियाँ का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित चोली एवं चड़ी आस्तीन का खुलेबंध का चाकदार वागा धराया जाता है.
- आज लाल रंग की मलमल का पटका एक ही सामने का धराया जाता हैं कन्दराजी की तरफ नहीं धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं. मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) के मेल से बना है.
- ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं.
- यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को श्रीकंठ के श्रृंगार छेडान के तथा बाकी सब वनमाला का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा एवं जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें लाल रंग की टिपारा की टोपी के ऊपर सिरपैंच, मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- बायीं ओर मीना की चोटी (शिखा) धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में हीरा के कुंडल धराये जाते हैं. हास, कड़ा, हस्तसाखला धराये जाते हैं.
- कमल माला धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, फ़ीरोज़ा के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
- पट लाल व गोटी बाघ-बकरी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : लालन रहिये जाओ जाके रस
- राजभोग : जब श्याम अभिराम मुरली
- आरती : कुसुम गुलाब महल में बैठे
- शयन : श्याम कपोलन कनक कुंडल झाई
- मान : छांड दे मननी श्याम संग
- पोढवे : श्याम जू सुख सेज
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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