व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल एकम, मंगलवार, 18 जुलाई 2023
आज की विशेषता :- आज से पुरुषोत्तम (अधिक) मास शुरू हो रहा हे जो अधिक श्रावण के रूप में 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 तक रहेगा. श्रीजी को पूरे अधिक मास में विविध प्रकार के मनोरथ कर के लाड लड़ाया जाएगा.
- क्योंकि अधिक मास की तिथियों के कोई नियत श्रृंगार नहीं होते है अतः एच्छिक श्रृंगार धराये जाते है. यह श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरन की प्रेरणा और तत सुख की भावना से तिलकायत श्री की आज्ञा से धराये जाते है.
- आज के मनोरथ- राजभोग में सायबान की फूलन की मंडली, संध्या को केसर बीनत राधा प्यारी
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- कली, कस्तूरी, कमल माला धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर रुपहली किनारी से सुसज्जित केसरी मलमल की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी श्याम मीना की पधरायी जाती है.
- आरसी उत्सववत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रावण के भाव के कीर्तनों के साथ मनोरथों के भाव के कीर्तन भी गाये जाते है.
- मंगला : वे देखो आवत मेह
- राजभोग : ब्रज को बसवो निको
- हिंडोरा : नवल हिंडोलना साज्यो, सो सावन आयो सेन काम की,
माई री झुलतरंग हिंडोरे, झुलत लाल वृन्दावन - शयन : मचक मचक झूले
- मान : मान न कीजे पिय
- पोढवे : पोढ़े रसिक पिय प्यारी
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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