व्रज- अधिक श्रावण कृष्ण दसमी, गुरुवार, 10 अगस्त 2023
आज की विशेषता :- पुरुषोत्तम (अधिक) मास चल रहा हे जो अधिक श्रावण के रूप में 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 तक रहेगा. श्रीजी को पूरे अधिक मास में विविध प्रकार के मनोरथ हिंडोलना के साथ कर के लाड लड़ाए जा रहे है.
- क्योंकि अधिक मास की तिथियों के कोई नियत श्रृंगार नहीं होते है अतः एच्छिक श्रृंगार धराये जाते है. यह श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरन की प्रेरणा और तत सुख की भावना से तिलकायत श्री की आज्ञा से धराये जाते है.
- आज के मनोरथ- प्रातः फूल मण्डली, संध्या को श्री यमुना पुलिन, प्रियाजी में प्रातः श्री यमुना पुलिन पर पलना, संध्या को श्री यमुना पुलिन पर हिंडोलना.
- कल के मनोरथ :- प्रातः छाक लीला मनोरथ, संध्या को कदम्ब की मण्डली, प्रियाजी में प्रातः छाक लीला मनोरथ, संध्या को फूलों की बड़ी हटड़ी का मनोरथ.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज लाल सफ़ेद लहरियाँ की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद वस्त्रों की बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज लाल सफ़ेद लहरियाँ का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को आज छेड़ान (कमर से थोडा नीचे तक) का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल सफ़ेद लहरियाँ की छज्जेदार पाग के ऊपर जड़ाऊ लूम तुर्रा सुनहरी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे रंग के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल रंग का व गोटी मीना की पधरायी जाती है.
- आरसी उत्सववत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रावण के भाव के कीर्तनों के साथ मनोरथों के भाव के कीर्तन भी गाये जाते है.
- मंगला : जन्माष्टमी की बधाई के पद, यह धन धर्म ही ते पायो
- राजभोग : ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि
- हिंडोरा : ललित कदम तरे हो झूलत, तेसोई वृन्दावन तेसीये ,
झूलन आयी ब्रजनार, राधे मोहन झुलत - शयन : सो सावन आयो
- मान : तू चल नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : तुम पोढो हो सेज बनाऊं
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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