व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी, रविवार, 03 सितम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज हिंडोलना विजय
- श्रीजी की सेवा प्रणालिका में हिंडोलना विजय शुभमुहूर्त के अनुसार किया जाता है. जो कि पूर्वा अथवा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में किया जाता है. श्रीजी में हिंडोलना यदि प्रातः कालीन मुहूर्त में हो तो श्रृंगार में या सायंकालीन मुहूर्त में हो तो भी हिंडोलना में प्रभु श्रृंगार में ही विराजते है.
- इस बार मुहूर्त सायंकालीन होने से भोग-आरती के दर्शन में हिंडोलना विजय होना है.
- हिंडोलना विजय के दिन, प्रथम हिंडोलना रोपण के दिन धराये गये साज दीवालगरी, वस्त्र, श्रृंगार आदि सभी वैसे ही धराये जाते हैं.
- इस अवसर पर गोविन्दस्वामी के चार हिंडोलना विजय के पद गाये जाते हैं.
- ये कीर्तन होने के उपरांत मुखियाजी, सभी भीतरिया आदि सेवक हिंडोलना की चार परिक्रमा करते हैं एवं तत्पश्चात आरती की जाती है और ठाकुरजी हिंडोलना से भीतर पधरा लिए जाते हैं.
- श्रीजी के उस्ताखाना के सेवक हिंडोलना की सभी साज बड़ी कर लेते हैं.
- आज से हिंडोलने की बिछायत, दीवालगरी आदि उतार लिए जाते हैं.
- केवल मणिकोठा में आगामी सप्तमी तक दीवालगरी रहती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा के तहत श्रीजी में आज साज लाल रंग की मलमल की सुनहरी लप्पा की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली आती है.
- पीठिका और पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी लप्पा से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के होते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंश्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को हीरों का छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरे के धराये जाते हैं.
- मोतियों की माला के ऊपर चार पान घाट की जुगावली धराई जाती हैं.
- श्रीकंठ में त्रवल नहीं धराया जाता हैं. हीरे की बघ्घी धराई जाती हैं.
- श्रीमस्तक पर आसमानी मलमल की सुनहरी बाहर की खिड़की वाली छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- सफेद पुष्पों की एवं लाल गुलाब की थागवाली मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल एवं गोटी छोटी स्वर्ण की छोटी धराई जाती हैं.
- आरसी श्रृंगार में लाल मख़मल की एवं राजभोग में सोने की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : महा महोच्छव श्री गोकुल गाम
- राजभोग : महा मंगल महराने आज
- हिंडोरा : श्री गोविन्द स्वामी वाले चार पद
- तैसोई वृन्दावन तेसीये हरित, झूलन आई व्रजनारी
- झूलत सुरंग हिंडोरे राधामोहन, रंग मच्यो सिंघद्वार हिंडोरे
- शयन : रंग बधावनो गोकुल राज के धाम
- मान : रसिक प्रीतम संग
- पोढवे : चरण कमल दोऊ
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
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जय श्री कृष्ण
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