व्रज – भाद्रपद शुक्ल सप्तमी, शुक्रवार, 22 सितम्बर 2023
आज की विशेषता :- कल राधाष्टमी का उत्सव है. प्रभु श्रीनाथजी की सेवा प्रणालिका में प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व आगम का श्रृंगार धराया जाता है.
- कल राधाष्टमी का उत्सव है. जैसा की हम जानते है, प्रभु श्रीनाथजी की सेवा प्रणालिका में प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व आगम का श्रृंगार धराया जाता है. सामान्यतः लाल वस्त्र, पीले ठाड़े वस्त्र एवं पाग पर सादा मोरपंख की चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा हल्का (कमर तक) श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच तथा मोरपंख की सादी चन्द्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में मिलवा कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- पीठिका के ऊपर भी श्वेत पुष्पों की मोटी मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में आज लाल और गोटी स्वर्ण की छोटी पधरायी जाती है.
- श्रृंगार में आरसी सोने की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : श्री वृषभान राय गृह प्रगटी, बरसाने ते दोरी नार इक नन्दभवन
- श्रृंगार : सुनियत रावल होत बधाई
- राजभोग : धन धन प्रभावती जिन जाई ऐसी बेटी, राधा रावल प्रकट भई
- उत्थापन : रावल आज कुलाहल माई
- आरती : जनम लियो वृषभान गोप के
- शयन : आठे भादो की उजियारी
- पोढवे : गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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