व्रज – आश्विन कृष्ण सप्तमी (प्रथम), गुरूवार 05 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज केसरी मलमल की सुनहरी ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
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- वस्त्र
- आज केसरी मलमल का सुनहरी जरी की किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छेडान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- चार मालाजी धराई जाती है.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज कमल माला, श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और वेत्रजी का धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट केसरी एवं गोटी चाँदी की आती हैं.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : रंचक चाखन दे
- राजभोग : जमुना घाट रोकी
ग्वालिन मीठी तेरी छाछ - आरती : बंसी वारे सांवरे नेक
- शयन : दिन दिन आय गयी यह
- मान : तेरे सुहाग की महिमा
- पोढवे : पोढ़ीये लाल कुंवर कन्हाई
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
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