व्रज – अश्विन कृष्ण दशमी, सोमवार, 09 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- आज श्रीजी को मल्लकाछ-टिपारा एवं पटका का श्रृंगार धराया जायेगा. मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) से बना है. ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. यह श्रृंगार प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया पर सफ़ेद व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर श्वेत मखमल होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल पीले लहरिया की मलमल का सुनहरी पठानी किनारी से
- सजा पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को मध्य का (घुटनों तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते
- हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल पीले लहरिया का दुमाला के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम जमाव का कतरा
- एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की
- रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- कली व कमल माला धराई जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी बाघ बकरी की पधरायी जाती है.\
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : हों जो गयी ब्रज में दधि बेचन
- राजभोग : देरी हमारो सूधो दान
- आरती : किरत कुल मंडन
- शयन : दिन दिन आय गई
- मान : तुम पोढो हों सेज
- पोढवे : तू चल मेरो मान राख
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- श्रीजी मंदिर में आज संध्या-आरती पश्चात कमल चौक स्थित हाथी पोल की देहलीज पर ब्रज लीला के तहत गिरघाट, श्री बैठकजी, चीरहरण लीला की सांझी मांडी जाती है.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………