व्रज – अश्विन शुक्ल द्वितीया, सोमवार, 16 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- द्वितीय विलास के अंतर्गत सेहरा के श्रृंगार, अधिक का छप्पन भोग।
- नवविलास के अंतर्गत द्वितीय विलास के आधार पर आज द्वितीय विलास की भावना का स्थल व्रज में संकेत वन है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी श्री ललिताजी है और सामग्री खीर की है. यद्यपि यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती परन्तु कई गृहों में नवविलास में अरोगायी जाती है.
- आज श्रीजी प्रभु को नियम के पीले छापा के वस्त्र, पीला खूंट का दुमाला के ऊपर हीरो का सेहरा और आभरण में विशेष पन्ना के कुंडल व पन्ना की जोड़ी धरायी जाती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज संकेत वन में विवाह लीला के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पडघा पर बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की छापा की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी वाली धोती और इसी प्रकार का राजशाही पटका धराया जाता है.
- आज के वस्त्र विशिष्ठता लिए हुए है. आज विशेष रूप से धोती के ऊपर पीले रंग के छापा का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी वाला खुलेबंद के चाकदार वागा एवं चोली भी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग का छापा के दुमाला के ऊपर हीरो का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला, कस्तूरी कली एवं कमल माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी राग रांग की आती हैं.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की डाँडी की दिखाई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : ऐ बंसीनाद सुर साध के बजाई
- राजभोग : दिन दुल्हे मेरो कुंवर कन्हैया
- आरती : राधा प्यारी दुल्हन जू को दूल्हा
- शयन : दुल्हे देखन जाय अरी
- मान : राधे जू के प्राण गोवेर्धनधारी
- पोढवे : श्यामा जू दुल्हन दुल्हे को लाल
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
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