व्रज – अश्विन शुक्ल पंचमी, गुरूवार, 19 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- आज पंचम विलास का लीला स्थल कदली वन निहित कुञ्ज है.
- पंचम विलास की भावना : आज पंचम विलास का लीला स्थल कदली वन निहित कुञ्ज है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी संजावलीजी हैं और सामग्री दूधपुवा है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज श्याम रंग के छापा की चाँद-सितारे और सूर्य की छापवाली सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. जिसमें पीठिका के आसपास पुष्प-पत्रों का हांशिया बना है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पडघा पर बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को श्याम छापा का, सुनहरी ज़री की किनारी वाला सूथन, श्याम रंग के छापा के वस्त्र पर रुपहली ज़री की किनारी वाले खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छेड़ान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्याम रंग का छापा के पगा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, लूम, तुर्री सुनहरी जरी की एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में स्वर्ण के दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला, कमल माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्प छड़ी,स्वर्ण के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ स्वर्ण की धराई जाती है.
- खेल के साज में पट श्याम व गोटी बाघ बकरी की आती है.
- आरती नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : सुन्दर सांवरे जब मुरली अधर धरी
- राजभोग : वृन्दावन सघन कुञ्ज माधुरी लतान
- आरती : गोवर्धन गिर चढ़ टेरी
- शयन : आधार मधुर मुख रुख मोहन
- मान : आज सुहावनी रात
- पोढवे : मदन मोहन श्याम पोढ़े माई
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
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