व्रज – आश्विन शुक्ल दशमी, मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रीजी का श्रृंगार कल के श्रृंगार का परचारगी श्रृंगार है. श्रीगुसाँईजी के ज्येष्ठ पुत्र श्री गिरधरजी के प्रथम लालजी श्रीमुरलीधरजी का उत्सव.
- अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन उपरांत उस उत्सव का परचारगी श्रृंगार धराया जाता है.
- इसमें सभी वस्त्र एवं श्रृंगार लगभग सम्बंधित उत्सव की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं. परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज (चिरंजीवी श्री विशाल बावा) होते हैं.
सेवाक्रम – उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं. - गेंद, चौगान, दीवाला आदि सभी सोने के आते हैं.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज हरे रंग के आधार वस्त्र पर सुनहरी जरी से बने बेल बूटों वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज रुपहली ज़री का चोली एवं घेरदार वागा धराया जाता है. सूथन लाल सलीदार जरी का धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र गहरे हरे दरियाई के धराये जाते हैं.
- पटका सुनहरी ज़री का धराया जाता है.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- माणक की प्रधानता एवं जड़ाव सोने के आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर चीरा (रुपहली ज़री की पाग) के ऊपर माणक का पट्टीदार सिरपैंच, लूम, काशी का तुर्रा (कांच के जवारे) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- किलंगी नवरत्न की धराई जाती हैं.
- श्रीकर्ण में चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कली, कस्तूरी वल्लभी आदि माला धरायी जाती हैं.
- गुलाब एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, माणक के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक हीरा का) धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट रुपहली ज़री का व गोटी चांदी की आती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की दिखाई जाती है.
- 35 दिनों तक आकाश दीप और मानसी गंगा होवे.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : चौवा में चहल रहे लाल कहो कहाँ गए दशहरा मन भावन
- राजभोग : सुनिए तात हमारो मतो, हमारो कान्हा कहे सोई कीजे
- आरती : बाजत नन्द आवास बधाई
- शयन : विनती करत नन्द कर जोरे
- मान : मान नी मान मेरो कह्यो
- पोढवे : वे देखो बरत झरोखन दीपक
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
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