व्रज-आश्विन शुक्ल द्वादशी गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023
आज की विशेषता :- छप्पनभोग मनोरथ (बड़ा मनोरथ), तृतीय मुकुट का श्रृंगार है
- रासपंचाध्यायी के आधार पर श्रीजी को शरद पूर्णिमा रास महोत्सव के मुकुट के पांच श्रृंगार धराये जाते हैं जिसके तहत आज महारास की सेवा का तृतीय मुकुट का श्रृंगार है जिसमें शरद के भाव के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- आज शयन में चुन्दडी का उपरना धराया जाता है. लूम, तुर्रा, छेडान के श्रृंगार आते है.
- आज प्रभु को नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
- आज श्रीजी में वैष्णव द्वारा आयोजित छप्पनभोग का मनोरथ होगा.
- मणिकोठा, डोल-तिबारी, रतनचौक आदि में छप्पनभोग के भोग साजे जाते हैं अतः श्रीजी में मंगला के पश्चात सीधे राजभोग अथवा छप्पनभोग (भोग सरे पश्चात) के दर्शन ही खुलते हैं.
श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी व शाकघर में सिद्ध चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं. - राजभोग की अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में मीठी सेव, केसरयुक्त पेठा व पाँच-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात) अरोगाये जाते हैं.
- छप्पनभोग दर्शन में प्रभु सम्मुख 25 बीड़ा सिकोरी (सोने का जालीदार पात्र) में रखे जाते है.
- श्रीजी मंदिर की दहलीज हल्दी से मांडी जाती है. सभी द्वारो पर वन्दंमाल बाँधी जाती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज श्रीजी में आज रासलीला शरद के भाव के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल रंग की सलिदार ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं लाल मलमल का रास-पटका (पीताम्बर) धराया जाता है.
- चोली स्याम सुतरु की धरायी जाती हैं.
- ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी (चिकन) के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मिलवा हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर डाख का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- शरद के दिनो में चोटीजी (शिखा) नहीं धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- हीरा की बग्घी एवं बग्घी की कंठी धरायी जाती हैं. हास त्रवल नहीं धराये जाते है.
- कली कस्तूरी एवं कमल माला धरायीं जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी दो वैत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी मोर की उत्सववत धराई जाती है.
- आरसी काच के कलात्मक की बाबा साहब वाली दिखाई जाती है.
- विशेष :
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत सारे वस्त्र, शृंगार ठाड़े वस्त्र पिछवाई बड़े कर के शयन के दर्शन में मंगला के दर्शन की भांति लाल चुन्दडी उपरना एवं गोल पाग एवं हीरा मोती के छेड़ान के शृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.
- कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तक आठों दर्शनों में रास के कीर्तन गाये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : मंजुल करत कुंज देस राधा
- राजभोग : करत हरी निर्त नव रंग राधा रंग
- आरती : कृष्ण तरन तनया तीर
- शयन : सुन धुन मुरली बन बाजे
- मान : उठ चले बेग राधिका
- पोढवे : भयो हरी पोढ़न को समय
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि
- मंगला, राजभोग, आरती व शयन दर्शन में आरती की जाती है. नित्यानुसार भोग रखा जाता है.
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………