व्रज – कार्तिक शुक्ल दसमी, बुधवार, 22 नवम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराये जाने वाले आगम के लाल-पीले वस्त्र व मोर चंद्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा.
- कल कार्तिक शुक्ल एकादशी, गुरूवार, 23 नवम्बर 2023 को देव-प्रबोधिनी एकादशी होने के कारण आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराये जाने वाले आगम के लाल-पीले वस्त्र व मोर चंद्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा. कल देवोत्थापन श्रृंगार में होगा.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज श्याम आधारवस्त्र पर खण्डों में रूपहरि कूदती गायों के कशीदा वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया के ऊपर लाल एवं चरणचौकी के ऊपर हरी बिछावट की जाती है.
- चौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की ज़री पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं पटका धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छेड़ान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल ज़री का चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, उसके ऊपर-नीचे मोती की लड़, नवरत्न की किलंगी, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
- पन्ना की चार मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी सोना की छोटी आती है.
- आरसी श्रृंगार में छोटी स्वर्ण की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : कोन बन जेहो भैया
- राजभोग : गावत चले बजावत तारी
- आरती : सुन मुरली की टेर झुक रही
- शयन : घेरो लाल आपुनी घेट गैय्या
- मान : रूप रस पुंज बरनो
- पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग ले
सायंकालिन सेवा भावना :
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- अनोसर में चीरा बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.
जय श्री कृष्ण
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