व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया, गुरुवार, 30 नवम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज लाल रंग की सिलमा सितारा के कशीदे के जरदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग के साटन पर रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित चोली, घेरदार वागा एवं सूथन धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण फिरोजा जडित स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में लाल मोजाजी व पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : व्रजनाथ हमारी आंगी देहो
- राजभोग : नन्दलाल सो मेरो मन मान्यो
- आरती : उठ चल मान तज बांवरी
- शयन : वारों मीन खंजन
- मान : रुसनो निवार राधा प्यारी
- पोढवे : रंग महल सुखदाई
सायंकालिन सेवा भावना :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
जय श्री कृष्ण
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