व्रज – पौष कृष्ण द्वितीया (द्वितीय), शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए
- श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री
- गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से
- पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- श्रीजी मंदिर से प्राप्त जानकारी के अनुसार निम्न श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज गुलाबी रंग की रुपहरी हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई
- धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज गुलाबी साटन पर रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन,
- घेरदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा (छेडान का) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- चार मालाजी धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका, रेशम की लूम, एवं
- बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, पीले एवं गुलाबी पुष्पों की
- रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट गुलाबी व गोटी चांदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : श्री विट्ठल को लाड़ लडावे
- राजभोग : पूत भयोरी नन्द मेहर के
- आरती : आज तो बधाई बाजे
- शयन : रावल के कहे गोप आज ब्रज धुनी
- मान : चढ़ बड बिडर गई
- पोढवे : लागत है अत शीत की निकी ऋतू
- संध्याकालीन सेवा :-
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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