व्रज – पौष शुक्ल त्रयोदशी, मंगलवार, 23 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज पतंगी रंग की सिलमा सितारा के कशीदे के ज़रदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा के तहत ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज पतंगी साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और कतरा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि हरे मीना के धराये जाते है.
- खेल के साज में पट पतंगी व गोटी मीना की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : कमल सी अखियाँ लाल तिहारी
- राजभोग : नैनन सोहे कजरा
- आरती : छबीले तरुण मदमाते
- शयन : आज सुहावनी रात
- मान : कित लाई ईह गलियन
- पोढवे : रंग महल सुखदाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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