व्रज – माघ कृष्ण तृतीया, रविवार, 28 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा आज श्रीजी में स्याम रंग की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को स्याम रंग के साटन के बिना किनारी के सूथन, घेरदार वागा, चोली धराये जाते है.
- स्याम रंग के मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र रूपहरी ज़री के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार में आज प्रभु को छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर स्याम रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, स्याम रंग का दोहरा क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज प्रभु की कटि (कमर) पर एक विशेष हीरे का चपड़ास (घुंडी-नाका) धराया जाता हैं.
- आज प्रभु को श्रीकंठ में हीरा की कंठी धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्तं में चाँदी के एक वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि भी हीरा के धराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- पट स्याम एवं गोटी चाँदी की आती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : मेरे आए भोर प्यारे वाके सब मिस
- राजभोग : श्याम लाग्यो संग डोले
- आरती : हो कहीं मिस जाऊं री खिरक
- शयन : ब्रज की पोर ठाडो
- मान : प्यारी सांवरी मूरत
- पोढवे : श्यामा जू सुख सेज
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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