व्रज – माघ कृष्ण चतुर्थी (द्वितीय), मंगलवार, 30 जनवरी 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. परन्तु इस ऋतू में दोहरा वस्त्र का श्रृंगार धराया अवश्य जाता है.
- ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा पर स्याम रंग की ज़री की फतवी (आधुनिक जैकेट जैसी पौशाक) एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा. फ़तवी आधी बाँहों वाली एक बंडी या जैकेट जैसी पौशाक होती है जो कि शीतकाल में चोली और घेरदार वागा के ऊपर धरायी जाती है.
- फ़तवी सदैव घेरदार वागा से अलग रंग की होती है.
- शीतकाल में फ़तवी के चार श्रृंगार धराये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज : आज श्रीजी में शीतकाल की लाल रंग की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को गुलाबी साटन का रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं स्याम रंग पर ज़री की फतवी धरायी जाती है.
- सुनहरी रंग के मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण : आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- आज फ़तवी धराए जाने से त्रवल, कटिपेच बाजु एवं पोची नहीं धरायी जाती हैं.
- आज प्रभु को श्रीकंठ में हीरा की कंठी धराई जाती हैं.
- श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. - श्रीहस्त में चांदी के एक वेणुजी एवं कटी पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि हरे मीना के धराये जाते है.
- खेल के साज में पट गुलाबी एवं गोटी मीना की आती हैं.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला – आईये जू कैसेक आवन भयो
- राजभोग – देखत ब्रजनाथ बदन मदन कोर
- संध्या आरती – अत हठ न कीजे री प्यारी
- शयन – नीके बने लाल आज
- मान – नैनन ही में राखो पिया तोहे
- पोढवे – रंग महल सुखदाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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