व्रज – फाल्गुन कृष्ण अष्टमी, सोमवार, 04 मार्च 2024
आज की विशेषता :- आज श्रीजी प्रभु को नियम के वस्त्र, श्रृंगार धराये जाते हैं.
- आज केसरी दुमाला पर फिरोजा का सेहरा धराया जाता है.
- पिछवाई पर गुलाल से चंवरी मांडी जाती है.
- प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- रजत के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज केसरी रंग का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं
- एवं केसरी मलमल का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) फागुण का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मीना के फागुन के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग के दुमाला के ऊपर फ़ीरोज़ा का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी मीना मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सेहरा पर मीना की चोटी दायीं ओर धरायी जाती है.
- आज अक्काजी वाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, लाल एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी फागुण की आती हैं.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के शृंगार एवं श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं.
- दुमाला रहे लूम तुर्रा नहीं आवे.
- राजभोग में गुलाल अबीर की पोटली बंधे.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : धन धन नन्द जसुमति
- राजभोग : अष्टपदी, श्री गोकुल राज कुमार लाल रंग
- नन्द महर को कुंवर कन्हैया (मरवट बनावे तब)
- आरती : श्री गोकुल राज कुंवर
- शयन : मिल जू डंडा रस खेल ही
- पोढवे : चले हो भांवते रस एन
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- श्रीजी के कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
- राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर पोटली से गुलाल अबीर उडाये जाते है.
- सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
जय श्री कृष्ण
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