व्रज – चैत्र कृष्ण त्रयोदशी, रविवार, 07 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- आज नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
- प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.
- अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में मुकुट नहीं धराया जाता इस कारण देव-प्रबोधिनी से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी का पाटोत्सव) तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक मुकुट नहीं धराया जाता.
- जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है.
- काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है.
- जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं. ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं.
- जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- ज श्रीजी में श्री यमुना जी एवं प्रभु की सेवा में पधारती गोपियों के चित्रांकन की मुकुट के भाव की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज लाल ज़री का सूथन, काछनी, लाल रास-पटका एवं मेघश्याम दरियाई की चोली धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र सफेद लट्ठा के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- स्वर्ण व हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर डाँख की मुकुट टोपी के ऊपर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चांदी के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- पट लाल व गोटी नाचते मोर की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण, मुकुट, टोपी, पीताम्बर, चोली व दोनों काछनी बड़े किये जाते हैं.
- आभरण छेड़ान के (छोटे) धराये जाते हैं.
- शयन दर्शन में मेघश्याम चाकदार वागा व लाल तनी धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर फूल के श्रृंगार व लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रीजी की राग सेवा में आज
- मंगला : आज खरेई बिचल
- राजभोग : बैठे कुञ्ज स्थली लालन
- आरती : हरि को बदन सरोज
- शयन : पहर री माल सुगंध गुलाब
- मान : आज सुहावनी रात लालन आए री
- पोढवे : प्रेम के परियंक पोढ़े
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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