व्रज – चैत्र शुक्ल पंचमी, शनिवार, 13 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- विशेष : आज तीसरी गुलाबी गणगौर है और ललिताजी के भाव की है अतः आज सर्व साज एवं वस्त्र गुलाबी घटावत धराये जाते हैं
- आज के वस्त्र शीतकाल की गुलाबी घटा जैसे ही होते हैं परन्तु उन दिनों शीतकाल होने से वस्त्र साटन के धराये जाते हैं और आज उष्णकाल के कारण मलमल के वस्त्र धराये जाते हैं.
- इसके अतिरिक्त शीतकाल की गुलाबी घटा के दिन किनारी वाले वस्त्र नहीं होते जबकि आज के वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुशोभित होते हैं.
- प्रभु को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से चैत्री गुलाब का सीरा अरोगाया जाता है.
- आज श्रीजी में नियम की चैत्री गुलाब की मंडली आती है.
- श्रृंगार समय धरायी पिछवाई ग्वाल बाद बड़ी कर (हटा) दी जाती है और चैत्री गुलाब से निर्मित मंडली (बंगला) में प्रभु विराजित होते हैं.
- मनोरथ के रूप में विविध सामग्रियां प्रभु को अरोगायी जाती हैं. राजभोग से संध्या-आरती तक प्रभु मंडली में विराजते हैं एवं आरती दर्शन के पश्चात मंडली हटा दी जाती है.
- आज विशेष रूप से प्रभु में गोखड़े (तिबारी) वाली मंडली धरायी जाती है. इस प्रकार की मंडली में श्रीजी वर्ष में केवल आज के दिन ही विराजते हैं.
- शयनभोग की सखड़ी में श्री नवनीतप्रियाजी में सिद्ध होकर श्रीजी के अरोगने के लिए गुलाब का सीरा आता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया पर गुलाबी एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को गुलाबी मलमल का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण गुलाबी मीना तथा सोने के धराये जाते हैं.
- सर्व आभरण धराये जाते हैं. हीरे की हमेल धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, तथा गोल चमक की चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
- पट गुलाबी और गोटी चांदी की आती हैं.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : आजब देखियत बदन
- राजभोग : कमल मुख देखत कौन
- फूलन की चौखंडी बैठे लाल
- आरती : कुसुम गुलाब महल में बैठे
- शयन : तेरे री बदन कमल
- पोढवे : छबीले तरुण मदमाते
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं.
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रुपहरी आवे.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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