व्रज – चैत्र शुक्ल अष्टमी, मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- कल रामनवमी है
- आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
- यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में लाल रंग सुनहरी लप्पा की, सुनहरी ज़री की लप्पा वाली किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया पर गुलाबी एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज प्रभु को लाल रंग के सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- उर्ध्व भुजा की ओर कटि-पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा (कमर तक) चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना एवं सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- आज चार माला धरावे.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
- पट लाल, गोटी छोटी सोने की व
- आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : गोकुल की पनिहारी पनिया भरन चली
- राजभोग : आज की बानिक कही ना जाय
- आरती : सुन मुरली की टेर
- शयन : अरी हों तो या मग निकसी आय
- पोढवे : पोढ़े हरि राधिका के गेह
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराया जाता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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