व्रज – चैत्र शुक्ल दशमी, गुरूवार, 18 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- आज रामनवमी के परचारगी श्रृंगार है.
- यह सर्व विदित है कि श्रीजी में अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन बाद परचारगी श्रृंगार होता है.
- यदि उपस्थित हों तो परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज श्री विशाल बावा होते हैं.
- आज दिन में दो समय की आरती थाली में की जाती है.
- गेंद, चौगान, दिवाला आदि सोने के आते हैं.
- रामनवमी के अगले दिन आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई आती है.
- यही पिछवाई श्रीजी में विजयादशमी के एक दिन पूर्व महा-नवमी के दिन भी धरायी जाती है.
- आज पिछवाई के अलावा सभी वस्त्र एवं श्रृंगार पिछली कल की भांति ही होते हैं.
- इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं.
- आज भोग में सब नित्य क्रम ही रहता है.
- राजभोग में पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया पर गुलाबी एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को कल की भांति केसरी जामदानी के सूथन, चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी के धराये जाते हैं.
- आज पटका नहीं धराया जाता.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- हीरा की प्रधानता के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
- नीचे पदक, ऊपर माला, दुलड़ा व हार उत्सववत धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी जामदानी की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चंद्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर हीरा एवं माणक के शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में उत्सव के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- उत्सव की हीरा की चोटी धरायी जाती है.
- आज त्रवल के स्थान पर टोडर धराया जाता है.
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी आदि की माला आती हैं.
- चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते है.
- पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ मिलवा धराई जाती है.
- पट उत्सव का एवं गोटी जड़ाऊ आती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की व राजभोग में सोना की डांडी की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : सुन सुत एक कथा
- राजभोग : बल बल आज की बानकी लाल
- आरती : राखी को अलक बीच बीच
- शयन : ऐ मोपे आज की बानक
- पोढवे : राय गिरधरन संग राधिका रानी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………