व्रज : वैशाख शुक्ल एकम, गुरूवार, 09 मई 2024
आज की विशेषता :- आज इस ऋतू का आखिरी मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जाता है. कल अक्षय तृतीया है.
- आज के पश्चात मुकुट-काछनी का श्रृंगार लगभग दो माह दस दिन पश्चात आषाढ़ शुक्ल एकादशी को धराया जायेगा. आज के वस्त्र तृतीय पीठ कांकरौली श्री द्वारिकाधीश मंदिर की तरफ़ से आते हैं.
- प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.
- अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में मुकुट नहीं धराया जाता इस कारण देव-प्रबोधिनी से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी का पाटोत्सव) तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक मुकुट नहीं धराया जाता.
- जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है. काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है.
- जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं. ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं.
- जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है.
- आज संभवतया श्रीजी के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी अंतिम बार धरायी जाती है. कल से प्रभु के श्रीहस्त में कमल-छड़ी धरायी जायेगी.
श्रीजी दर्शन
- साज
- सबसे पहले श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल के धराये जाते है.
- जिनमे सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराये जाते हैं.
- चोली नहीं धरायी जाती.
- ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर स्वर्ण की टोपी पर डांख का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- बायीं ओर उत्सव की मोती मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के लहरिया के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- पट लाल व गोटी शतरंज वाली आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : नन्द सदन गुरुजन की भीर
- राजभोग : कुञ्ज भवन ते निकसे राधा
- आरती : देखन न देत वेरन भई पलकें
- शयन : चलो क्यों न देखें री खरे
- मान : आपुन चलिए जू लालन
- पोढवे : प्रेम के पर्यंक पोढे
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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