व्रज : वैशाख शुक्ल चतुर्थी, शनिवार, 11 मई 2024
आज की विशेषता :- आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री लालगिरधरजी महाराज का उत्सव है.
- आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री लालगिरधरजी महाराज का उत्सव है.
- आप तिलकायत होने के साथ उत्कृष्ट कवि थे. आपने ‘श्री लालगिरिधर’ के नाम से कई कीर्तन रचित किये हैं जो कि श्रीजी सेवा में गाये जाते हैं.
आज का सेवाक्रम :
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को पूजन कर हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज सभी समय यमुनाजल की झारीजी आती है. दो समय थाली में आरती की जाती है.
- डोलोत्सव से धीरे धीरे ऊष्णकाल क्रमानुसार आरम्भ हो जाता है और इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होने के साथ ही प्रभु के सुख में भी उसी क्रम में वृद्धि होती रहती है जिससे श्री ठाकुरजी को ऊष्णता का अनुभव न हो. प्रभु सुखार्थ
- इतनी सूक्ष्मता से सेवाक्रम का निर्धारण निस्संदेह अद्भुत है. इसी क्रम में आज से ऊष्णकाल का एक और सौपान बढ़ जाता है जिसमें प्रभु सुखार्थ सेवाक्रम में कुछ परिवर्तन होंगे.
- आज से मंगला में श्रीजी को उपरना के स्थान पर आड़बंद धराया जाता है.
- आज से श्रीजी को ठाड़े (कन्दराजी के) वस्त्र नहीं धराये जायेंगे और प्रभु की पीठिका के दर्शन होंगे.
- आज से प्रभु के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी के स्थान पर कमलछड़ी धरायी जाती है.
- प्रभु सुखार्थ आज विशेष रूप से चैत्री गुलाब, रूह गुलाब, सोंधा, मोगरा, जूही अथवा रूह खस का इत्र समर्पित किया जाता है.
भोग सेवा दर्शन :
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है. उत्सव होने के कारण श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में श्रीखण्ड-भात अरोगाये जाते हैं.
- भोग समय अरोगाये जाने वाले फीका के स्थान पर बीज-चालनी के सूखे मेवा अरोगाये जाते हैं.
- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में श्रीजी की आरती की जाती है.
- आज से भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव प्रारंभ हो जायेगा.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज केसरी रंग की मलमल की, उत्सव के कमल के काम और रुपहली किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- एक पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज केसरी डोरिया का स्याम झाई का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते अतः पीठिका के दर्शन होते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन का हल्का श्रृंगार श्रृंगार धराया जाता है. – कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के हीरा व मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्याम झांई की केसरी छज्जेदार पाग के ऊपर संक्रान्ति वाले सिरपैंच, रुपहरी लूम की किलंगी, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के झुमका वाले कर्णफूल एक जोड़ी धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में त्रवल नहीं आवे यद्यपि कंठी धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- इसी प्रकार दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- आज पीठिका के ऊपर श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की एक मोटी सुन्दर मालाजी भी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, ऊष्णकाल सुवा वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- खेल के साज में आज पट ऊष्णकाल का और गोटी बड़ी हकीक पधराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : भोर गिरवर धरण भले आये
- राजभोग : बधाई. श्री वल्लभ नंदन रूप
- आरती : पिछोड़ा खासा को कटि बांधे
- शयन : मेरे गृह चन्दन अति कोमल
- पोढवे : पोढ़े पिय गिरधर राय
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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