व्रज : वैशाख शुक्ल एकादशी, रविवार, 19 मई 2024
आज की विशेषता :- आज मोहिनी एकादशी है.
- आज श्रीजी को नियम का केसरी (चंदनिया) रंग की धोती पटका और दुमाला पर मोती के सेहरा का श्रृंगार धराया जाता है और सेहरा के भाव के कीर्तन गाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज सेहरा का श्रृंगार धराये श्री स्वामिनीजी, श्री यमुनाजी एवं मंगलगान करती व्रजगोपियों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में केसरी रंग की मलमल धोती पटका धराये जाते है.
- दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को मध्य का घुटनों से थोडा नीचे तक ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग के दुमाला के ऊपर मोती का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. दायीं ओर सेहरे की मोती की चोटी धरायी जाती है.
- श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- कली आदि की माला श्रीकंठ में धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी राग-रंग की पधराये जाते है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : चन्दन चर्चित नील कलेवर
- राजभोग : आज बने गिरधारी दुल्हे
- आरती : चितेवो छांड दे री राधा
- शयन : बैठे ब्रज राज कुंवर
- मान : मनावन आये मनावन जायो
- पोढवे : रंग महल गोविन्द पोढ़े
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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