व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा, शुक्रवार, 24 मई 2024
आज की विशेषता :- आज प्रभु को नियम से बिना किनारी के श्वेत वस्त्र और साज धराये जाते हैं.
- आज ऊष्णकाल में प्रथम बार श्रृंगार में आड़बंद धराया जाता है. आने वाले दिनों में प्रभु को आड़बंद, परधनी, धोती-पटका और पिछोड़ा आदि वस्त्र ही धराये जायेंगे.
- कल नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री दाऊजी महाराज कृत चार स्वरुप के उत्सव का दिवस है
- और आज राजभोग दर्शन उपरांत कल के उत्सव के प्रभु के वस्त्र रंगे जायेंगे और वस्त्र रंगे जाने के पश्चात उन भीगे वस्त्रों से प्रभु के झड़प (भीगे वस्त्रों से प्रभु के सम्मुख पंखा करना) होता हैं.
कल से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में हैं
- आगामी ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा (शुक्रवार, 24 मई 2024) रात्रि 3 बजकर 17 मिनिट से आगामी ज्येष्ठ शुक्ल एकम (शुक्रवार, 07 जून 2024) सायं 1:06 तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में हैं.
- अति ऊष्ण के इन दिनों में प्रभु को चंदन धराया जाना प्रशस्त (उत्तम) माना गया है.
- यद्यपि पूरे ऊष्णकाल में प्रभु सेवा में चन्दन प्रयुक्त होता है परन्तु इस अवधि में विशेष रूप से श्रीजी को ताप निवारणार्थ चन्दन धराना, विशेषकर चन्दन की चोली, चन्दन की गोली धराना, लपट-झपट, खस-खाना, जल-विहार और नौका-विहार के मनोरथ, शीतल जल से स्नान (संध्या-आरती पश्चात) आदि किये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज श्वेत रंग की मलमल की बिना किनारी की पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- तीन पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी और तीसरे पडघा पर श्वेत माटी के कुंजा में शीतल जल भरकर पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत मलमल का बिना किनारी का आड़बंद धराया जाता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं. लड़ के श्रृंगार व दो लड़ की बद्दी धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग के श्याम झाईं वाले फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख के दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
पीठिका के ऊपर गुलाबी पुष्पों की मोटी माला धरायी जाती है. - श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमनी अर्थात स्वर्ण व रजत के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बड़ी हकीक की पधराये जाते है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : अधम उधारनी में जानी
- राजभोग : चन्दन की खोर किये
- आरती : बैठे घनश्याम सुन्दर
- शयन : धीर समीरे यमुना तीरे
- मान : उठ चल देख राधिका प्यारी
- पोढवे : नवल किशोर नवल नागरी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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