व्रज : ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी, बुधवार, 05 जून 2024
आज की विशेषता :- आज राजभोग में चन्दन की गोली धराई जाएगी.
- ऊष्णकाल में ताप निवारणार्थ चंदन की गोली, चंदन की चोली, लपट-झपट, ख़स-खाना, जल-विहार, शीतल जल से स्नान (संध्या में) आदि प्रशस्त (उत्तम) माने गए हैं.
- आज प्रभु के श्रीअंगों (वक्षस्थल, दोनों श्रीहस्त और दोनों चरणकमल) में कुल पांच केशर बरास मिश्रित चंदन की गोलियां धरायी जाती है.
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- श्रीजी में आज केसर एवं चंदन मिश्रित चंदनी रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- तीन पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी और तीसरे पडघा पर श्वेत माटी के कुंजा में शीतल जल भरकर पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज चन्दनी मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है.
- वस्त्र रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान के (कमर से थोड़ा नीचे तक) हल्का उष्णकाल का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर चन्दनी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, गंगा जमुनी वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हकीक की पधराये जाते है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : श्री यमुने सुख कारनी प्राण पति
- राजभोग : सूँ री आली दुपहरी की बिरियाँ
- आरती : अरे कौन टेव तेरी रे कन्हैया
- शयन : चारू नट भेख धरे
- मान : चल मुख मौन मनायो
- पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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