व्रज – श्रावण शुक्ल द्वादशी, शनिवार, 17 अगस्त 2024
आज की विशेषता :- आज पुष्टिमार्ग का प्रागट्य और ब्रह्म सम्बन्ध दिवस. कल श्रीनाथजी में अधिक का छप्पन भोग (बड़ा मनोरथ).
- श्रावण शुक्ल एकादशी की मध्यरात्रि को स्वयं ठाकुरजी ने प्रकट होकर श्री महाप्रभुजी को दैवीजीवों को ब्रह्म-सम्बन्ध देने की आज्ञा दी.
इस प्रकार श्रावण शुक्ल द्वादशी के दिन श्रीवल्लभ ने सब से प्रथम ब्रह्म-सम्बन्ध वैष्णव दामोदर दास हरसानी को दिया. तब से एकादशी का दिन सभी वैष्णवों में पुष्टिमार्ग की स्थापना दिवस-समर्पण दिवस के रूप में मनाया जाता है. - श्री महाप्रभुजी को स्वयं श्रीजी ने ब्रह्म-सम्बन्ध देने की आज्ञा प्रदान की इस कारण सभी वैष्णवों को वल्लभ कुल बालकों से ब्रह्म-सम्बन्ध लेना चाहिए.
- वल्लभ कुल के बालक श्री महाप्रभुजी की ओर से ब्रह्म-सम्बन्ध देते हैं अतः पुष्टिमार्ग के गुरु श्री महाप्रभुजी हैं.
- जिस प्रकार हिन्दू धर्म के अन्य सम्प्रदायों में आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) को गुरु का पूजन किया जाता है उसी प्रकार पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय में आज के दिन गुरु का पूजन किया जाता है.
- सभी वैष्णव आज के दिन श्री ठाकुरजी को पवित्रा धराये पश्चात अपने ब्रह्म-सम्बन्ध देने वाले गुरु को पवित्रा, भेंट आदि धरते है. दंडवत करते है, इसके पश्चात वैष्णवों को परस्पर प्रसादी मिश्री देकर ‘जय श्री कृष्ण’ कहते है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा के तहत आज श्रीजी में सफेद रंग की मलमल की धोरेवाली सुनहरी ज़री की किनारी वाली हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में सात स्वरूप श्री महाप्रभुजी श्रीजी को पवित्रा धरा रहे हैं एवं श्री गुसाई जी मोरछल की सेवा कर रहे हैं ऐसा सुन्दर चित्रांकन किया गया है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली आती है.
- पीठिका के ऊपर व इसी प्रकार से पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते हैं.
- गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज गहरे गुलाबी रंग की मलमल का रुपहली किनारी से सजाया हुआ पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण पन्ना एवं सोने के धराये जाते हैं.
- एक कली की माला धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर पतंगी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, पन्ना – वाली चमकनी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थाग वाली दो मालजी एवं विविध प्रकार के रंग-बिरंगे पवित्रा मालाजी के रूप में धराये जाते हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, पन्ना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी (एक पन्ना व एक सोने के) धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट गुलाबी, गोटी छोटी सोने की आती है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में लाल मख़मल की एवं राजभोग में सोना की डांडी की आती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : प्रेंख पर्यंक शयनं
- राजभोग : सब ग्वाल नाचे गोपी गावे
- हिंडोरा : आई आई सकल ब्रज नार
- झुलत है भामिनी हिंडोरे
- कमल नयन प्यारो
- झुलत श्री गोपाल
- शयन : हों बल बल तीही काल गोपाल
- मान : कौन करे पटतर तेरी गुन
- पोढवे : चांपत चरण मोहन लाल
- श्रीजी की भोग सेवा के दर्शन :
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में चांदी के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं.
- श्री नवनीत प्रियाजी भी चांदी के ही हिंडोलने में विराजित होकर झूलते है.
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
………………………