व्रज: आश्विन शुक्ल सप्तमी, गुरूवार, 10 अक्टूबर 2024
आज की विशेषता :- आज सप्तम विलास विजय दशमी (दशहरा) उत्सव पूर्व धराया जाने वाला आगम का श्रृंगार धराया जाता है.
- आज नवविलास के अंतर्गत सप्तम विलास का लीला स्थल गहवर वन है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी कृष्णावतीजी हैं और सामग्री वड़ी एवं बूंदी है.
- यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती है परन्तु कई पुष्टिमार्गीय मंदिरों में सेव्य स्वरूपों को अरोगायी जाती है.
- इस वर्ष आश्विन शुक्ल नवमी (शनिवार, 12 अक्टूबर 2024) के दिन विजय दशमी (दशहरा) उत्सव है और कल अष्टमी (शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024) के दिन नियम का मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जाता है अतः उत्सव पूर्व धराया जाने वाला आगम का श्रृंगार आज सप्तमी के दिन धराया जाएगा.
- सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के पूर्व लाल वस्त्र, पीले ठाड़े वस्त्र एवं पाग पर सादी चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
- यह श्रृंगार प्रभु को अनुराग के भाव से धराया जाता है.
- श्रीजी को आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में नवविलास के भाव से विशेष रूप से मोहनथाल की सामग्री अरोगायी जाती है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में आज श्रीजी में लाल रंग के छापा वाली सुनहरी ज़री की किनारी और हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी के ऊपर सफेद, तकिया के ऊपर श्वेत वस्त्रों की बिछावट की जाती है.
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी सफ़ेद मखमल वाली आती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल रंग के छापा के सुनहरी एवं रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- चार माला पन्ना की धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की छापा की छज्जेदार पाग के ऊपर एक मोर पंख की सादा चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में आभरण से मिलवा कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ विविध पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- पट लाल व गोटी स्वर्ण की छोटी की आती है.
- आरसी श्रृंगार में स्वर्ण की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : जान्यो जान्यो री सयान
- राजभोग : तेसोई तरुण तनया तीर
- आरती : सुन मुरली की टेर
- शयन : नेक सुनाओ मोहन मुरली
- मान : आज अजन दियो राधिका नैन
- पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडिली संग
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- ध्रुवबारी के नीचे रास पंचाध्याई का गायन किया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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