DIVYASHANKHNAAD
  • होम
  • श्रीनाथजी दर्शन
  • यूट्यूब चैनल
  • पुष्टि – सृष्टि
  • आम की कलम
  • नाथद्वारा
  • राजस्थान
  • देश-विदेश
  • फिचर
No Result
View All Result
  • होम
  • श्रीनाथजी दर्शन
  • यूट्यूब चैनल
  • पुष्टि – सृष्टि
  • आम की कलम
  • नाथद्वारा
  • राजस्थान
  • देश-विदेश
  • फिचर
No Result
View All Result
DIVYASHANKHNAAD
No Result
View All Result
  • होम
  • श्रीनाथजी दर्शन
  • यूट्यूब चैनल
  • पुष्टि – सृष्टि
  • आम की कलम
  • नाथद्वारा
  • राजस्थान
  • देश-विदेश
  • फिचर
Home नाथद्वारा

आज श्रीनाथजी में विजयदशमी उत्सव, बधाई

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
12/10/2024
in नाथद्वारा, श्रीनाथजी दर्शन
0
आज श्रीनाथजी में विजयदशमी उत्सव, बधाई
Share on FacebookShare on TwitterShare on whatsapp

व्रज – आश्विन शुक्ल नवमी, शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

आज की विशेषता :- आज नव विलास के तहत नवम विलास है. विजयदशमी (दशहरा) उत्सव.

  • आज नव विलास के तहत नवम विलास है. नवम विलास का लीला स्थल बंशीवट है.
  • आज के मनोरथ की मुख्य सखी श्री लाडिलीजी ने नवधा भक्तों को बुलाया है.
  • सामग्री पूवा, खोवा, मिठाई मेवा आदि नवधा भांति की होती है.
  • आज नवविलास का अंतिम दिन है और समाप्ति पर नवम विलास में श्री लाडिलीजी की सेवा बंशीवट विहार एवं प्रिया-प्रियतम की रसलीला का वर्णन है.
    यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती है परन्तु कई पुष्टिमार्गीय मंदिरों में सेव्य स्वरूपों को अरोगायी जाती है.

विजयदशमी, दशहरा : श्रीजी का सेवाक्रम : विशेष: पुष्टि में प्रेम का प्रतीक है विजयदशमी (दशहरा) उत्सव.

  • उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से मांडा जाता हैं एवं आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
  • पूरे दिन सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
  • चारों समय (मंगला, राजभोग, संध्या व शयन) की आरती थाली में की जाती है.
  • ऊष्णकाल में प्रभु की आरती में आरती के एक खण्ड में ही बाती लगायी जाती थी.
  • विजयदशमी के दिन से शीत का अनुभव होने से आरती के सभी तीन खण्डों में बाती सजाई जाती है.
  • गेंद, चौगान व दीवाला सोने के आते हैं.
  • आज से ही प्रतिदिन खिड़क (गौशाला) से गौमाता पधारें इस भाव से प्रभु के सम्मुख काष्ट (लकड़ी) की गाय पधरायी जाती है.
  • हल्की ठण्ड आरम्भ हो गयी है अतः आज से मंगला समय प्रभु स्वरुप की पीठिका पर दत्तु ओढाया जाता है.
  • आज से तीन माह पूर्व आषाढ़ शुक्ल एकादशी को तुलसी के बीज बोये जाते हैं एवं उनकी अभिवृद्धि और रक्षा हेतु प्रयत्न किये जाते हैं. कन्यावत उनका पालन कर कार्तिक शुक्ल एकादशी को उनका विवाह प्रभु के साथ किया जाता है.
  • इससे श्रीजी में यह परंपरा है कि आज से एक माह तक समस्त पुष्टि-सृष्टि के वैष्णवों की ओर से सभी जीवों के कृतार्थ हेतु मंगला दर्शन उपरांत श्रीजी के श्रीचरणों में प्रतिदिन सवा लाख (1,25,000) तुलसी दल (पत्र) समर्पित किये जाते हैं.
  • मंगला दर्शन पश्चात प्रभु को केसर युक्त चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.
  • आज से प्रभु को ज़री के वागा धराये जाने आरम्भ हो जाते हैं जो कि बसंत पंचमी से एक दिन पूर्व तक धराये जायेंगे. ठाडे वस्त्र भी दरियाई के आरम्भ हो जाते हैं.
  • ज़री के वस्त्र प्रभु के श्रीअंग पर चुभें नहीं इस भाव से आज से प्रतिदिन प्रभु को सामान्य वस्त्रों के भीतर आत्मसुख के वागा धराये जाते हैं.
  • आत्मसुख के वागा विजयदशमी से कार्तिक शुक्ल दशमी तक मलमल के व कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवप्रबोधिनी) से डोलोत्सव तक शीत वृद्धि के अनुसार रुई के धराये जाते हैं.
  • आज के दिन सुदर्शनजी की सभी सात ध्वजाएं स्वर्ण की ज़री की चढ़ाई जाती है.
  • आज निर्गुण भक्तों के भाव की सेवा है अतः श्रीजी को नियम के रुपहली ज़री के श्वेत घेरदार वागा धराये जाते हैं और श्रीमस्तक पर रुपहली ज़री की पाग पर मोरपंख की सादी चंद्रिका धरायी जाती है.
  • आज श्रृंगार में विशेष यह है कि आज प्रभु के दायें श्रीहस्त में प्राचीन पन्ना की जडाऊ कटार धरायी जाती है.
  • गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोर (जलेबी-इलायची) के लड्डू और विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
  • राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है.
  • सखड़ी में केसरयुक्त पेठा व मीठी सेव अरोगायी जाती है.
  • आज से राजभोग समय अरोगाये जाने वाले फीका, थपडी के स्थान पर तले जमीकंद (सूरण, अरबी, रतालू व शकरकन्द) अरोगाये जाते हैं.
  • शक्तिरूपेण भाव से राजभोग समय प्राचीन मगर की खाल से बनी ढाल (जिसमें स्वर्ण का अद्भुत काम किया हुआ है) को तबकड़ी पर प्रभु के सम्मुख रखा जाता है एवं राजभोग पश्चात हटा लिया जाता है.
  • इसी भाव से एक दिवस पूर्व संध्या काल में प्रभु के स्वरुप के पीछे एक लकड़ी के लम्बे संदूक में विभिन्न आकारों की ढालें, तलवारें, अद्भुत काम से सुसज्जित कटारें, धनुष-बाण, चाकू आदि विभिन्न अस्त्र-शस्त्र रखे जाते हैं जिन्हें दशहरा के दिन संध्या-आरती दर्शन के उपरांत हटा लिया जाता है.
  • तृतीय गृह प्रभु श्री द्वारकाधीशजी आदि कुछ पुष्टि स्वरूपों में नवरात्रि के अंतिम दिनों में अस्त्र, शस्त्र प्रभु के सम्मुख रखे जाते हैं.
  • नवरात्री के प्रथम दिन बोये जवारा उत्थापन समय सिद्ध कर लिए जाते हैं.
  • सायंकाल भोग के दर्शन में श्रीजी को तिलक, अक्षत किया जाता है.
    -प्रभु के श्रीमस्तक पर पहले से धरायी मोर चन्द्रिका को बड़ा (हटा) कर उसके स्थान पर सिद्ध जवारा में से उत्तमोत्तम जवारा स्वर्ण की अंगूठीनुमा कड़ी में रेशमी डोरे से बांध, कलंगी बना कर धराये जाते हैं.
  • इस दौरान झालर-घंटा, शंखादी बजाये जाते हैं और धूप-दीप किये जाते हैं. चरणारविन्द में तुलसी व जवारा समर्पित किये जाते हैं और मुठियाँ वार के चांदी की थाली में आरती की जाती है.
  • प्रभु को जवारा धराते समय निम्न पद गाया जाता हैं.
    (राग : सारंग/कान्हरो)
    आज दशहरा शुभ दिन नीको ।
    गिरिधरलाल जवारे बांधत बन्यो है भाल कुंकुम को टीको ।।१।।
    आरती करत देत न्यौछावर चिरज़ीयो लाल भामतो जीको।
    आसकरन प्रभु मोहन नागर त्रिभुवन को सुख लागत फीको ।।२।।
  • तदुपरांत संध्या-आरती के भोग में श्रीजी को उत्सव भोग अरोगाये जाते हैं.
    उत्सव भोग में विशेष रूप से 10 माट अरोगाये जाते हैं जो कि दस प्रकार के भक्तों की भावना से अरोगाये जाते हैं. इसके संग बीज चालनी का सूखा मेवा, कच्चर व दूधघर में सिद्ध बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
  • प्रत्येक माट का वजन लगभग 20 किलो होता है और वर्ष भर में केवल आज के दिन ही अरोगाये जाते हैं.
  • आज भोग समय श्रीजी को अरोगाये जाने वाले फीका के स्थान पर घी में तले बीज-चालनी का सूखा मेवा अरोगाया जाता है व आरती में अरोगाये जाने वाले ठोड के स्थान पर बूंदी के बड़े लड्डू अरोगाये जाते हैं.
  • शाकघर में सिद्द मावे का मेवा मिश्रित माट भी आज ठाकुरजी को अरोगाये जाते हैं.
  • संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रातः धराये श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर मोती की लूम व किलंगी में नए जवारा धराये जाते हैं.
  • आज से श्रीजी में शयन के दर्शन बाहर खुलना प्रारंभ हो जाते हैं जो कि आगामी मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी (नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री गोकुलनाथजी के उत्सव के एक दिन पूर्व) तक अर्थात लगभग 55 दिन तक प्रतिदिन सायंकाल लगभग 7 बजे होंगे.
  • आज से अन्नकूट महायज्ञ की झांझ की बधाई बैठती है.
  • अन्नकूट के कीर्तन गाये जाते हैं.
  • अन्नकूट की सामग्री के निर्माण के प्रारंभ हेतु बालभोग का भट्टी-पूजन किया जाता है एवं श्रीजी के मुखियाजी प्रभु के मुख्य बालभोगिया को बीड़ा देकर अनसखड़ी की सेवा प्रारम्भ करने की आज्ञा देते हैं.
  • आज से लगभग 35 दिन तक प्रतिदिन सायंकाल कमलचौक में मानसीगंगा के दीपवृक्ष (आकाशदीप) की स्थापना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इसमें दीप प्रज्वलित करने से बालकों पर अनिष्ट की निवृति होती है एवं अतुल्य संपत्ति एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
  • इसी भाव से आज से सुदर्शन चक्रराज के समक्ष भी तिल के तेल का दीपक (आकाशदीप) प्रज्वलित किया जाता है.
  • आज सायंकाल संध्या-आरती दर्शन पश्चात श्रीजी में अश्व पूजन होता है.

श्रीजी दर्शन

  • साज
    • साज सेवा में आज हरे रंग के आधार वस्त्र पर पुष्प-पत्रों की लता के सुरमा-सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के भरतकाम वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है.
    • गादी के ऊपर सफेद, तकिया के ऊपर श्वेत वस्त्रों की बिछावट की जाती है.
    • स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी सफ़ेद मखमल वाली आती है.
    • चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
    • सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
  • वस्त्र
    • वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज रुपहली ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराया जाता है.
    • ठाड़े वस्त्र गहरे हरे दरियाई के धराये जाते हैं.
    • पटका सुनहरी ज़री का धराया जाता है.
  • श्रृंगार
    • श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
    • माणक की प्रधानता एवं जड़ाव सोने के आभरण धराये जाते हैं.
    • श्रीमस्तक पर चीरा (रुपहली ज़री की पाग) के ऊपर माणक का पट्टीदार सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
    • किलंगी नवरत्न की धराई जाती हैं.
    • श्रीकर्ण में चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
    • स्वर्ण का जड़ाव का चौखटा पीठिका के ऊपर धराया जाता है.
    • कली, कस्तूरी वल्लभी आदि माला धरायी जाती हैं.
    • गुलाब एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
    • श्रीहस्त में कमलछड़ी, माणक के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक हीरा का) धराये जाते हैं.
    • दायें श्रीहस्त में ही आज विशेष रूप से पन्ने की कटार (श्री मुरलीधरजी वाली) धरायी जाती है.
    • खेल के साज में पट रुपहली ज़री का व गोटी चांदी की आती है.
    • आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में सोना की दिखाई जाती है.
  • श्रीजी की राग सेवा:
    • मंगला : गोकुल को कुल देवता
    • राजभोग : तिहारे खिरक बताई
    • जवारे धरे : आज दशहरा शुभ दिन निको
    • आरती : चढ़े हरी कनक पूरी में आज
    • शयन : गोकुल को जीवन
    • मान : विजयदशमी विजय मुहरत
    • पोढवे : वे देखो बरत झरोखन दीपक
      भोग सेवा दर्शन :
    • श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
    • मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
    • श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.

जय श्री कृष्ण
………………………

https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD

………………………

Tags: #nathdwaradivyashankhnaaddussehrahindutempleJari vastranathdwara newsnathdwara templenavneetpriyajinavratripushtimargraasShayan Darshanshreenathjishreenathji nity darshanshreenathji shringarshrinathji darshanshrinathji mandirshrinathji mandir nathdwarashringar
Previous Post

श्रीनाथजी में अष्टम विलास, मुकुट-काछनी का श्रृंगार

Next Post

श्रीनाथजी में आज महारास की सेवा का द्वितीय मुकुट का श्रृंगार

Next Post
श्रीनाथजी में आज महारास की सेवा का द्वितीय मुकुट का श्रृंगार

श्रीनाथजी में आज महारास की सेवा का द्वितीय मुकुट का श्रृंगार

Archives

  • May 2025
  • April 2025
  • November 2024
  • October 2024
  • September 2024
  • August 2024
  • July 2024
  • June 2024
  • May 2024
  • April 2024
  • March 2024
  • February 2024
  • January 2024
  • December 2023
  • November 2023
  • October 2023
  • September 2023
  • August 2023
  • July 2023
  • June 2023
  • May 2023
  • April 2023
  • March 2023
  • February 2023
  • January 2023
  • December 2022
  • November 2022
  • October 2022
  • September 2022
  • August 2022
  • July 2022
  • June 2022
  • May 2022
  • April 2022
  • March 2022
  • February 2022
  • January 2022
  • December 2021
  • November 2021
  • October 2021
  • September 2021
  • August 2021
  • July 2021
  • June 2021
  • May 2021
  • April 2021
  • March 2021
  • January 2021

Quick Links

  • Home
  • About us
  • E-paper
  • Contact us

Contact us

 +91-9426826796

 shankhnaad9999@gmail.com
  • Home
  • About us
  • E-paper
  • Contact us

© 2022 Divyashankhnaad All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • होम
  • श्रीनाथजी दर्शन
  • यूट्यूब चैनल
  • पुष्टि – सृष्टि
  • आम की कलम
  • नाथद्वारा
  • राजस्थान
  • देश-विदेश
  • फिचर

© 2022 Divyashankhnaad All Rights Reserved.

Messages us