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श्रीनाथजी में आज शरद का रासोत्सव, बधाई

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
16/10/2024
in नाथद्वारा, श्रीनाथजी दर्शन
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श्रीनाथजी में आज शरद का रासोत्सव, बधाई
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व्रज – अश्विन शुक्ल चतुर्दशी, बुधवार, 16 अक्टूबर 2024

आज की विशेषता :- आज शरद पूर्णिमा (रासोत्सव), शरद का उत्सव क्रम आज लिया गया है.

  • रासपंचाध्यायी के आधार पर श्रीजी को शरद पूर्णिमा रास महोत्सव के मुकुट के पांच अध्याय के वर्णित श्रृंगार धराये जाते हैं.
  • आश्विन शुक्ल अष्टमी को प्रथम वेणुनाद, गोपियों के प्रश्न, उपदेश तथा प्रणय गीत होते हैं.
  • आश्विन शुक्ल एकादशी को लघुरास होता है और शयन में ललिताजी के भाव से गुलाबी उपरना धराया जाता है.
  • आश्विन शुक्ल चतुर्दशी को प्रभु गोपियों के प्रश्नों का उत्तर देते हैं, (इस बार त्रयोदशी) शयन में यमुनाजी के भाव से चूंदड़ी का उपरना धराया जाता है. चूंदड़ी के वस्त्र इस दिन इस ऋतु में अंतिम बार धराये जाते हैं.
  • आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद का श्रृंगार श्वेत एवं सुनहरी ज़री के वस्त्र मुकुट एवं आभरण हीरा मोती के धराये जाते हैं एवं स्वामिनीजी के भाव से शरद की सज्जा की जाती है. महारास के चित्रांकन की पिछवाई धरी जाती है.
  • कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा शरद का दूसरा ऐसा ही श्रृंगार किया जाता है और शयन में चन्द्रावलीजी के भाव से श्वेत उपरना धराया जाता है.

श्रीजी का सेवाक्रम :

  • रासोत्सव को पुष्टिमार्ग के मुख्य उत्सवों में एक माना जाता है अतः उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से मांडा जाता हैं एवं आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
  • मंगला दर्शन पश्चात प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.
  • आज प्रभु को नियम का रास का चौथा मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है. आज के शरद के श्रृंगार में श्वेत एवं सुनहरी ज़री के वस्त्र मुकुट एवं आभरण हीरा-मोती के धराये जाते हैं एवं महारास के चित्रांकन की पिछवाई धरी जाती है.
  • आज मंगला में श्रीजी को श्वेत ऊपरना धराया जाता हैं.
  • आज के वस्त्र श्रृंगार सर्व सखियों के अद्भुत भावों से धराये जाते हैं. मेघश्याम चोली यमुनाजी के भाव से, ऊपर की रूपहरी ज़री की काछनी स्वामिनीजी के भाव से, नीचे की सुनहरी ज़री की काछनी चन्द्रावलीजी के भाव से, सूथन कुमारिकाजी के भाव से एवं लाल पीताम्बर (रास-पटका) अनुराग भावरूप ललिताजी के भाव से धराया जाता है.
  • आज प्रभु को पीठिका पर रूपहरी ज़री का दत्तु ओढाया जाता है.
  • श्रीजी की भोग सेवा में आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मनोर (जलेबी-इलायची) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
    इसके साथ शाकघर के मीठा में आज के दिन सीताफल का रस भी श्रीजी को विशेष रूप से अरोगाया जाता है.
  • राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता भोग लगाया जाता है.
  • आज श्रीजी को सखड़ी में केसर युक्त पेठा, मीठी सेव, श्याम खटाई, कचहरिया आदि आरोगाया जाता हैं.
  • कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा को शरद का रास-पंचाध्यायी के आधार पर धराया जाने वाला पांचवा मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.

श्रीजी दर्शन

  • साज
    • साज सेवा में आज “द्वे द्वे गोपी बीच बीच माधौ” अर्थात दो गोपियों के बीच माधव श्री कृष्ण खड़े शरद-रास कर रहें हैं ऐसी महारासलीला के अद्भुत चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई आज श्रीजी में धरायी जाती है.
    • गादी के ऊपर सफेद, तकिया के ऊपर श्वेत वस्त्रों की बिछावट की जाती है.
    • स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी सफ़ेद मखमल वाली आती है.
    • चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
    • सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
  • वस्त्र
    • वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज सुनहरी और रुपहली ज़री का सूथन व काछनी तथा मेघश्याम रंग की दरियाई (रेशम) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित चोली धरायी जाती है.
    • लाल रंग का रेशमी रास-पटका धराया जाता है.
    • ठाड़े वस्त्र सफेद डोरिया के धराये जाते हैं.
  • श्रृंगार
    • श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करे तो प्रभु को आज उत्सव के भारी श्रृंगार धराये जाते है.
    • हीरे की प्रधानता एवं मोती, माणक, पन्ना से युक्त जड़ाव सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
    • श्रीमस्तक पर हीरे का जड़ाव का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
    • श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
    • कस्तूरी, कली एवं कमल माला धरायी जाती हैं
    • हीरा का शरद उत्सव वाला कोस्तुभ धराया जाता हैं.
    • श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
    • श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
    • प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
    • पट उत्सव का व गोटी जड़ाऊ काम की आती है.
    • आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की एवं राजभोग में शरद की डांडी की दिखाई जाती हैं.
    • पीठिका के ऊपर प्राचीन हीरे का जड़ाव का चौखटा धराया जाता है.
  • श्रीजी की राग सेवा:
    • मंगला : मान लाग्यो गिरधर गावे
    • राजभोग : बन्यो रास मंडल
    • आरती : वृन्दावन अद्भुत नभ देखियन
    • शयन : पुरी पूरनमासी श्याम सजनी शरद रजनी
    • मंडल मद रंग भरे लाल संग रास रंग
    • बन्यो मोर मुकुट श्याम नवल बधु
    • निर्तत रास रंगा खेलत रास रसिक नागर
    • ऐ रेन रीझी हो प्यारे बन्सी बट के निकट
    • शरद सुहाई हो जामिन राजत रंग भीनी
    • और भी केदारो-बिहाग के पद गाये जाते है.
      भोग सेवा दर्शन :
    • श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
    • मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
    • श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.

शरद उत्सव दर्शन :

  • संध्या आरती के दर्शन के बाद सारे वस्त्र,आभरण, पिछवाई बड़े करके सफ़ेद मलमल का उपरना धराया जाता हैं.
  • छोटा (छेड़ान) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
  • हीरा मोती के आभरण धराये जाते हैं.
  • श्रीमस्तक पर स्याम खिड़की की छज्जेदार पाग पर हीरा की किलंग़ी एवं मोती की लूम धरायी जाती हैं.
  • आज संध्या-आरती के पश्चात श्रीजी मंदिर में मणिकोठा, डोल-तिबारी, रतन-चौक आदि स्थानों पर सफेद बिछावट की जाती है.
  • दीवालगरी, पर्दे, चंदरवा, वंदनमाल आदि सभी श्वेत रंग के ही बांधे जाते हैं, बीच में सांगामाची पधराई जाती हैं. अनोसर के भोग पाटिया पर आते हैं.
  • भीतर भी रासलीला की सुन्दर सज्जा की जाती है.
  • कमल-चौक में प्रभु रास करेंगे इस भाव से चौक को भी जल से खासा किया जाता है और चौक में बने कमल को सुगन्धित गुलाब के इत्र से सराबोर किया जाता है.
  • डोल-तिबारी में चांदनी आवे तब भीतर शयन आरती की जाती है.
  • आज मान के व पोढावे के कीर्तन नहीं गाये जाते.
  • प्रभु पूरी रात रास रचाएंगे इस भाव से ध्रुवबारी के नीचे सभी मृदंग, झांझ, तानपुरा आदि सभी वाद्ययंत्र रखे जाते हैं.
  • आज गुप्त शरद है अतः आज शयन के दर्शन बाहर नहीं खोले जाते.
  • आज की शरद-रास का आनंद प्रभु की अलौकिक सखियाँ ही लेती हैं.
  • अगले दिन कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा (इस वर्ष पूर्णिमा) को ‘द्रश्य शरद’ का द्वितीय शरद-उत्सव मनाया जाता है.
  • आज शयन अनोसर में उत्सव भोग रखे जाते हैं जो कि अगले दिन प्रातः शंखनाद के पश्चात सराये जाते हैं.
  • उत्सव भोग में श्रीजी को विशेष रूप से चन्द्रकला (सूतर फेनी), चंवला के गुंजा, उड़द दाल की कचौरी, दूधघर में सिद्ध मावे के मेवा मिश्रित पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), बासोंदी, जीरा मिश्रित दही, पतली पूड़ी, चांवल की खीर, रसखोरा (खोपरा के लड्डू), घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार) के बटेरा, विविध कच्चे सूखे मेवे, मिश्री के खिलौने और मिठाई की टोकरी और फलफूल आदि अरोगाये जाते हैं.

जय श्री कृष्ण
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