मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है.”

भारत के संविधान निर्माता और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को पूरे देश में अंबेडकर जयंती के रूप में मनाई जाती है| साल 2025 में भी यह दिन खास श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाएगा|
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था| वे एक प्रख्यात विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे| संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने भारत का संविधान तैयार किया| जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव बना|
अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानते हैं उनके कुछ ऐसे अनमोल विचार :
अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानते हैं उनके कुछ ऐसे अनमोल विचार, जो आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं|
“मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है.”
“राजनीतिक अत्याचार से बड़ा होता है सामाजिक अत्याचार, और समाज का विरोध करने वाला सुधारक, सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी होता है.”
“जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं प्राप्त करते, तब तक कानून द्वारा दी गई स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है.”
“विचार नश्वर हैं, लेकिन उन्हें प्रचारित करना पड़ता है जैसे पौधों को पानी देना पड़ता है, नहीं तो वे मुरझा जाते हैं.”
“मैं किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय की महिलाओं द्वारा हासिल प्रगति के स्तर से मापता हूं.”
“यदि आप एक सम्मानजनक जीवन जीना चाहते हैं, तो आत्म-सहायता में विश्वास कीजिए, क्योंकि यही सबसे बड़ी सहायता है.”
“मस्तिष्क का विकास ही मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.”
“हमें अपने अधिकारों के लिए स्वयं खड़े होना होगा और संघर्ष करना होगा. अपने आंदोलन को जारी रखिए, संगठित रहिए. शक्ति और सम्मान संघर्ष से ही प्राप्त होते हैं.”
कौन थे डॉ. अंबेडकर ?
डॉ. अंबेडकर रामजी मालोजी सकपाल के 14वें और सबसे छोटे पुत्र थे. दलित समुदाय से होने के कारण उन्हें बचपन से ही भेदभाव और सामाजिक अत्याचार का सामना करना पड़ा| उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद और असमानता के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया|
1932 में पूना समझौते में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिससे दलितों को विधान मंडलों में प्रतिनिधित्व का अधिकार मिला| उन्होंने भारतीय समाज में सामाजिक समानता और शिक्षा के महत्व को सर्वोपरि माना|
अंबेडकर जयंती कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाई जाती है| इस दिन देशभर में शोभायात्राएं, संगोष्ठियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम और उनके विचारों पर आधारित परिचर्चाएं आयोजित की जाती हैं| छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी वर्ग डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं|
डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे| अंबेडकर जयंती पर हम सभी को उनके दिखाए रास्ते पर चलकर एक समतामूलक, शिक्षित और जागरूक समाज के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए|कौन