भारत की प्राचीन धरोहर को वैश्विक पहचान

नई दिल्ली 19 अप्रैल | भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत नई वैश्विक पहचान मिली है। यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अपने प्रतिष्ठित विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल कर लिया है।
दुनियाभर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को भारत की “शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,” दुनियाभर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारे कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।”
यूनेस्को रजिस्टर में कुल 74 नई प्रविष्टियाँ :
यूनेस्को द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस वर्ष Memory of the World Register में कुल 74 नई प्रविष्टियाँ जोड़ी गईं, जिससे अब कुल प्रविष्टियों की संख्या 570 हो गई है। इस सूची में ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और ग्रंथ शामिल होते हैं, जो मानव सभ्यता, संस्कृति और इतिहास की दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान हैं।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने इस अवसर पर कहा,”दस्तावेजी विरासत दुनिया की स्मृति का एक आवश्यक लेकिन नाजुक तत्व है| यही कारण है कि यूनेस्को वैश्विक संरक्षण प्रयासों में निवेश करता है, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करता है और इस रजिस्टर के माध्यम से मानव इतिहास के व्यापक धागों को संजोता है।”

भारत के लिए “ऐतिहासिक क्षण” :
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस उपलब्धि को भारत के लिए “एक ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र को इस रजिस्टर में शामिल किया जाना भारत की शाश्वत ज्ञान परंपरा और कलात्मक प्रतिभा का वैश्विक सम्मान है। शेखावत ने कहा,”ये कालातीत रचनाएँ केवल साहित्यिक खजाने नहीं हैं, बल्कि वे दार्शनिक और सौंदर्यशास्त्रीय स्तंभ हैं, जिन्होंने भारत के दृष्टिकोण और सोचने, जीने, महसूस करने और अभिव्यक्त करने के तरीकों को आकार दिया है.अब भारत के कुल 14 दस्तावेज़ इस अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल हो चुके हैं।”
भारत की प्राचीन धरोहर को नई पहचान :
श्रीमद्भगवद गीता, जो महाभारत का एक हिस्सा है, न केवल धार्मिक ग्रंथ है बल्कि एक गहन दार्शनिक संवाद है जो कर्म, धर्म और आत्मा के स्वरूप पर प्रकाश डालता है। वहीं, भरत मुनि का नाट्यशास्त्रभारतीय रंगमंच, नृत्य और नाट्यकला का मूल स्तंभ माना जाता है।
यह ग्रंथ भारत की नाट्य परंपरा को शास्त्रीय रूप देता है और आज भी कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए मार्गदर्शक बना हुआ है। इस ऐतिहासिक मान्यता से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित करने में सहायता मिलेगी, बल्कि दुनिया भर में इसके महत्व को भी नई ऊँचाई मिलेगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ और भरत मुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किए जाने पर खुशी जाहिर की। गृह मंत्री ने इस बारे में सोशल मीडिया पर लिखा कि दुनिया भारत के ज्ञान को संजोकर रखती है. गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किए जाने के भव्य अवसर पर प्रत्येक भारतीय को बधाई| ये शास्त्र भारत के प्राचीन ज्ञान को दर्शाते हैं | जिसने अनादि काल से मानवता को दुनिया को बेहतर बनाने और जीवन को अधिक सुंदर बनाने का प्रकाश दिखाया है।