अक्षय तृतीया कल है तो परशुराम जयंती आज क्यों?

नाथद्वारा ( दिव्य शंखनाद ) 29 अप्रैल | परशुराम जयंती का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है | इस दिन अक्षय तृतीया भी होती है, जो कि बेहद ही पावन दिन होता है।
परशुराम जयंती भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। स्कंद पुराण व भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म त्रेतायुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोषकाल समय में हुआ था। भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका के गर्भ से हुआ था, जो आज भी अजर अमर माने जाते हैं।
अगर अक्षय तृतीया कल है तो परशुराम जयंती आज क्यों?
29 अप्रैल 2025 को वैशाख शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और मंगलवार का दिन है। द्वितीया तिथि शाम 5:32 बजे तक रहेगी, इसके बाद तृतीया तिथि शुरू होगी। आज दोपहर 3:54 बजे तक सौभाग्य योग रहेगा, जिसे ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, कृत्तिका नक्षत्र जो सूर्य का नक्षत्र है, शाम 6:47 बजे तक प्रभावी रहेगा । इस दिन भगवान परशुराम जयंती मनाई जाएगी। प्रदोष काल में परशुराम जी की पूजा करना विशेष रूप से शुभ है, क्योंकि माना जाता है कि उनका जन्म इसी समय हुआ था।
तृतीया तिथि का प्रारंभ आज शाम 05:31 से होगा और इसका समापन 30 अप्रैल को 2:12 PM पर होगा, अब उदियातिथि मान्य होने की वजह से अक्षय तृतीया तो बुधवार को मनाया जाएगा।
क्यों लिया भगवान परशुराम का अवतारः
भगवान विष्णु ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में छठवां अवतार धारण किया था। कल्कि पुराण में वर्णित है कि, परशुराम भगवान विष्णु के 10 वें एवं अन्तिम अवतार श्री कल्कि को शस्त्र विद्या प्रदान करने वाले गुरु होंगे। यह प्रथम अवसर नहीं है कि भगवान विष्णु के छठवें अवतार किन्हीं अन्य अवतार से भेंट करेंगे। रामायण के अनुसार, देवी सीता एवं भगवान राम के विवाह समारोह में परशुराम जी का आगमन हुआ था तथा भगवान विष्णु के 7वें अवतार श्री राम जी से उनकी भेंट हुयी थी।
परशुराम जयंती का महत्व :
भगवान परशुराम को अन्याय, अधर्म और अत्याचार के विनाशक के रूप में पूजा जाता है। वे अमर हैं और आज भी तपस्या में लीन माने जाते हैं। परशुराम जी को शस्त्र विद्या और धर्म रक्षकों का आदर्श माना जाता है।