मार्बल की कटिंग के कचरे से तैयार किया जाता था नकली खाद

जयपुर ( दिव्य शंखनाद) 30 मई। राजस्थान में एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है, जो नकली खाद का उत्पादन कर रहा था। राज्य के कृषि और उपभोक्ता विभाग के सहयोग से, किशनगढ़ के उदयपुर कलां इंडस्ट्रियल एरिया में 13 फैक्ट्रियों पर छापेमारी की गई।
इन फैक्ट्रियों में मार्बल स्लरी, मिट्टी और बालू का उपयोग करके DAP, MOP, SSP, प्रोम, बायोजाइम और जिप्सम जैसे नकली खाद बनाए जा रहे थे। ये उत्पाद बिहार, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ब्रांडेड कंपनियों के नाम से बेचे जा रहे थे। सभी फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है.
मार्बल स्लरी से तैयार किया जाता था नकली खाद :
छापेमारी के दौरान, यह देखा गया कि मार्बल कटिंग से निकलने वाले कचरे को मिट्टी के साथ मिलाकर गर्म किया जाता था, जिससे खाद के समान दाने बनाए जाते थे। इन्हें विभिन्न रंगों में रंगकर DAP, SSP और MOP जैसे खाद के रूप में पैक किया जाता था। एक फैक्ट्री का मालिक मौके से फरार हो गया, जबकि दूसरी फैक्ट्री में ट्रकों पर नकली खाद के कट्टे लादे जा रहे थे। फैक्ट्री के मैनेजर ने सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया.

राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने किसानों के हित में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए अजमेर जिले के किशनगढ़ क्षेत्र में चल रही नकली खाद तैयार करने वाली कई फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया। छापेमारी के दौरान डीएपी, एसएसपी, पोटाश और जिप्सम जैसे नकली कृषि उत्पादों के हजारों कट्टे जब्त किए गए।मंत्री डॉ. मीणा को सूचना मिली थी कि किशनगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में गुप्त रूप से नकली खाद तैयार की जा रही है, जो ब्रांडेड पैकिंग में भरकर किसानों को बेची जा रही है। इस सूचना के आधार पर डॉ. मीणा खुद मौके पर पहुंचे और बिना देरी किए उदयपुर कला गांव स्थित एक खेत में चल रही अवैध फैक्ट्री में छापा मारा। वहाँ तीन से चार बीघा क्षेत्र में फैली फैक्ट्री में बड़ी-बड़ी मशीनों से नकली खाद, पोटाश और अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे थे।
दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र के अधिकारी धर्म सिंह गुर्जर ने चेतावनी दी, ‘इस खाद से खेत हमेशा के लिए बंजर हो जाएंगे.’ अजमेर की कृषि अधिकारी ज्योति यादव ने कहा, ‘यह नकली प्रोडक्ट खेती के लिए खतरनाक है.’ कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, ‘यह विशाल रैकेट है, जिसमें मिट्टी और पत्थर के पाउडर से DAP, SSP और MOP बनाकर देशभर में सप्लाई किया जा रहा था.