व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण दसमी, शुक्रवार, 04 जून 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता : आज यमुना दशमी की भावना.
- राजभोग दर्शन पश्चात मणिकोठा और डोल-तिबारी में घुटनों तक जल भरा जाता है.
- डोल तिबारी की सभी दिशाओं में कुंज के भाव से केले के स्तम्भ खड़े किये जाते हैं.
- प्रभु के सम्मुख रुई की बतखें रखी जाती है वहीँ लकड़ी के खिलौना (मगरमच्छ, कछुआ रुई की बतखें आदि) जल में तैराये जाते हैं. सुन्दर कमल और अन्य पुष्प भी जल में तैराये जाते हैं.
- डोल-तिबारी में ध्रुव-बारी के छोर पर नीचे की ओर चांदी का सिंहासन और यमुनाजी के घाट के भाव से चार सीढियाँ भी साजी जाती हैं.
- पनघट और जल-विहार के पद गाये जाते हैं.
- उत्थापन समय उत्सव भोग में प्रभु को रत्नागिरी हापुस आम की चांदी की डबरिया और शाककेरी (हापुस आम की छिलके बगैर की फांक) की डबरिया अरोगायी जाती है.
आज से प्रतिदिन भोग समय प्रभु के सम्मुख रखे जाने वाले खिलौना के थाल (जिसे यमुनाजी का थाल भी कहा जाता है) में रुई की बतख भी तैराई जाती है. - उत्थापन के दर्शन नहीं खोले जाते और भोग समय सर्व-सज्जा हटाकर डोल-तिबारी का जल छोड़ दिया जाता है.
- वैष्णव जल में ही खड़े हो कर दर्शनों का आनंद लेते हैं.
- मणिकोठा का जल संध्या-आरती के पश्चात छोड़ा जाता है.
- पुष्टिमार्ग में प्रभु के सुख के लिए बहुत छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखा जाता है. आज की अद्भुत विशेषता यह है कि ऊष्णता की अधिकता के चलते आज यमुना दशमी के दिन राजभोग व संध्या-आरती में प्रभु की आरती मणिकोठा में भरे जल में खड़े हो कर की जाती है. सामान्यतया प्रभु की आरती निज मंदिर में ही होती है.
- प्रभु सुखार्थ कितना सूक्ष्म भाव है कि आरती की लौ से भी प्रभु को गर्मी का अनुभव होगा.
- शीतकाल में आरती में जहाँ 16 तक बत्तियां होती हैं वहीँ ऋतु अनुसार उनमें परिवर्तन होकर इन दिनों प्रभु की आरती में केवल 4 बत्तियां ही होती है.
- यमुनाजी के भाव का उत्सव होने के कारण आज आरती दो समय की थाली में की जाती है.
- श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
राजभोग की सखड़ी में खंडरा प्रकार अरोगाये जाते हैं. - खंडरा प्रकार प्रसिद्द गुजराती व्यंजन खांडवी का ही रूप है. इसे सिद्ध करने की प्रक्रिया व बहुत हद तक उससे प्रेरित है, केवल खंडरा सिद्ध कर उन्हें घी में तला जाता है फिर अलग से घी में हींग-जीरा का छौंक लगाकर खांड का रस पधराया जाता है और तले खंडरा उसमें पधराकर थोडा नमक डाला जाता है. प्रभु सेवा में इस सामग्री को खंडरा की कढ़ी कहा जाता है और यह सामग्री वर्ष में कई बार बड़े उत्सवों पर व विशेषकर अन्नकूट पर अरोगायी जाती है.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज दूधिया रंग की घास फूस की पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को जालीदार तनिया एवं श्वेत मलमल का आड़बंद धराया जाता है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं. हालाँकि पौंची आदि लड़ की धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर श्वेत मलमल की श्याम झाईं के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख के दोहरा कतरा (खंडेला) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीँ श्वेत पुष्पों की दो मालाएँ हमेल की भांति धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा-जमुनी (सोने-चांदी) के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : नमो देवी यमुने
- राजभोग : करत जल केल या आवत
- आरती : कृपा रस नैन कमल दल
- शयन : धीर समीरे यमुना तीरे
- मान : उठत चल बेग राधिका प्यारी
- पोढवे : नवल किशोर नवल नागरी
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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