व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी, मंगलवार, 15 जून 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता : नियम का नाव मनोरथ
आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री ने उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपालसिंहजी व उदयपुर की महारानीजी की विनती पर विक्रम संवत 2005 में ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को नाव का मनोरथ किया था.
डोलतिबारी में जल भरकर नाव में प्रभु श्री मदनमोहनजी को विराजित कर सुन्दर मनोरथ हुआ था. तब से यह मनोरथ प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को नियमित रूप से होता है.
सेवाक्रम : दिन में दो समय राजभोग एवं संध्या आरती की आरती थाली में की जाती है.
- आज श्रीजी को नियम की बिना किनारी की गुलाबी परदनी और श्रीमस्तक पर गोल-चंद्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
- द्वितीय गृह में आज श्री गोविन्दरायजी (द्वितीय) का प्राकट्योत्सव है.
- आज प्राचीन परंपरानुसार श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी को धराये जाने वाले वस्त्र द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर से सिद्ध होकर पधारते हैं.
- श्री नवनीतप्रियाजी के लिए ओढ़नी भी द्वितीय गृह से पधारती है. वस्त्रों के संग बूंदी के लड्डुओं की छाब भी वहां से आती है.
- वर्ष में लगभग 16 बार श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के वस्त्र द्वितीय पीठ से पधारते हैं.
- उदयपुर के गणगौर घाट के सुन्दर चित्रांकन की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है.
- राजभोग पश्चात डोल-तिबारी में कमर तक जल भरा जाता है.
- जल में विविध प्रकार के इत्र घोले जाते हैं. मोगरे, गुलाब, कमल आदि के पुष्प, लकड़ी के खिलौने (मगरमच्छ, कछुए आदि) तैराये जाते हैं.
- चांदी की थालियों में रुई से बनी बतखें भी तैरायी जाती हैं.
- उत्थापन एवं भोग दर्शन नहीं खोले जाते व सायं संध्या-आरती में लगभग 5 बजे नाव मनोरथ के दर्शन खुलते हैं.
- सुन्दर नौका में विराजित हो श्रीजी के विग्रह स्वरुप श्री मदनमोहनजी वैष्णवों पर आनंद रस की वर्षा करते हैं. नौका सखियों और ग्वालों की मूर्तियों से सुसज्जित होती हैं.
- लगभग डेढ़ से दो घंटे दर्शन खुले रहते हैं. उसके बाद ठाकुरजी को भीतर पधराकर नौका को हटाकर जल छोड़ दिया जाता है जिसमें सभी वैष्णव स्नान का आनंद लेते हैं और श्रीजी के दर्शन करते हैं.
- लेकिन महामारी प्रकोप के चलते सरकारी आदेश के कारण दर्शन नहीं खुल रहे हैं आप चित्रजी में भाव दर्शन करे.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - आज श्रीजी में उदयपुर के प्रसिद्द गणगौर-घाट, राजमहल, नौका-विहार, घूमर नृत्य करती गोपियों, श्री ठाकुर जी, श्री बलदेव जी एवं श्री नंद-यशोदा जी के सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई सजायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को गुबिना किनारी की गुलाबी मलमल की परदनी धरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन :
- आज श्रीजी को प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी मलमल की गोलपाग के ऊपर सिरपैंच, मोती की घुमावदार चमकनी गोल-चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीँ श्वेत पुष्पों एवं कमल की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : नमो देवी यमुने नमो
- राजभोग : करत जल केल पिय प्यारी
- भोग : बैठे घनश्याम सुन्दर खेवत है नाव
वृन्दावन जमना जल,
चन्दन पहर नाव हरि - आरती : कृपा रस नैन कमल दल
- शयन : बैठे ब्रज राज कुंवर प्यारी संग
- मान : उठ चल बेग राधिका प्यारी
- पोढवे : नवल किशोर नवल नागरी
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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