व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया, सोमवार, 12 जुलाई 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता :
- आज मंगला में धोरा का आड़बंद धराया जाता है. पूरे दिन में दो समय आरती थाली में होती है.
- आज श्रीजी को अतिविशिष्ट श्रृंगार धराया जायेगा. वर्ष में केवल एक बार रथयात्रा के अगले दिन श्री ठाकुरजी को आड़बंद के ऊपर श्वेत कुल्हे तथा कुंडल का मध्य का श्रृंगार धराया जाता है.
- सामान्यतया श्रीजी प्रभु को आड़बंद के साथ कुल्हे जोड़ या कुंडल नहीं धराये जाते व श्रृंगार भी छोटा धराया जाता है.
- साथ ही आज रथ के चित्रांकन से सुशोभित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसमें ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु स्वयं रथ में विराजित हों.
- आज से जन्माष्टमी तक प्रभु को सायं भोग समय फल के भोग के साथ क्रमशः तीन दिन कच्ची (चने की दाल, मूंग की दाल और अंकुरित मूंग) और तीन दिन छुकमां (चने की दाल, मूंग की दाल और अंकुरित मूंग) अरोगायी जाती है.
- आज से प्रभु को सतुवा (लड्डू व घोला हुआ), श्रीखण्ड-भात आदि नहीं अरोगाये जाते.
- आज से प्रभु को सतुवा की जगह मगद के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
- रथयात्रा से आषाढ़ी पूनम तक श्रीजी के सम्मुख चांदी का रथ रखा जाता है.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज रथयात्रा के चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई सजाई जाती है. पिछवाई में रथ का चित्रांकन इस प्रकार किया गया है कि श्रीजी स्वयं रथ में विराजित प्रतीत होते हैं.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट श्वेत सुनहरी किनारी का व गोटी सोने की राग-रंग की आती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्वेत चौखाना की मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित, किनारी के धोरा वाला आड़बंद धराया जाता है. आज ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन मध्यम श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, तीन मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी उत्सववत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : गोवर्धन पर मुरवा बोले माई
- राजभोग : आयो आगम नरेश देश देश में
- आरती : लाडलो लडाय बुलावत धेन
- शयन : मुरली आधार धरे हो मोहन
- मान : तेरो मन गिरधर बिन
- पोढवे : रावटी सुख सेज पोढ़े
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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