व्रज – श्रावण कृष्ण चतुर्थी, मंगलवार, 27 जुलाई 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज के श्रीजी दर्शन : विशेष आज श्रीजी को नियम का श्रृंगार धराया जाता है. वर्षभर में केवल आज ही श्रीजी को नील कुल्हे (गहरे आसमानी रंग की कुल्हे) धरायी जाती है और कुल्हे के ऊपर सुनहरी चमक का घेरा धराया जाता है. आज का उत्सव श्री यमुनाजी की ओर से होता है. श्री यमुनाजी और श्री गिरिराजजी के भाव से आज गहरे आसमानी रंग के वस्त्र एवं कुल्हे धरायी जाती है.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
- श्रीजी में आज आज आसमानी रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट आसमानी और गोटी राग रंग की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज आसमानी रंग की मलमल का सुनहरी लप्पा का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के नित्य के धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
- श्रीमस्तक पर आसमानी रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, हीरा की तुर्री, सुनहरी घेरा एवं बायीं ओर हीरा के शीशफूल धराये जाते हैं. मीना की चोटीजी.
- श्रीकर्ण में हीरा के कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, भाभीजी वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में आरसी नित्य वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : श्याम देख नाचे मुदित
- राजभोग : नयो नेह नयो मेह
- हिंडोरा : गृह गृह ते आयी ब्रज सुन्दरी
झुलत लाल गोवर्धनधारी
झुलत है राधा सुन्दर
झूलाय रंग हिंडोरे - शयन : माई झुलत रंग हिंडोरे
- मान : यह ऋतू रुसवे की नाही
- पोढवे : राय गिरिधरन संग राधिका
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- संध्या-आरती में कमलचौंक में श्री मदनमोहन जी चांदी के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
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जय श्री कृष्ण।
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