व्रज – श्रावण कृष्ण चतुर्थी, मंगलवार, 27 जुलाई 2021
आज श्रावण कृष्ण चतुर्थी को चतुर्थ गृहाधीश्वर प्रभु श्री गोकुलनाथजी (गोकुल) का पाटोत्सव हैं
सभी वैष्णवों को प्रभु श्री गोकुलनाथजी के पाटोत्सव की बधाई
स्तुति : श्रीगोकुलजनजीवनमूर्तिः श्रीगोकुलाधीशः l
स्वीयत्वांगीकरणे मामपि दीनं निवेशयतु ll
भावार्थ : श्री गोकुलवासियों के जीवन स्वरुप, श्री गोकुल के स्वामी श्री गोकुलनाथजी मुझे अपना जान कर मेरे दीन स्वीकार करें एवं मुझे अपनी सेवा में रखें.
श्री महाप्रभुजी को अपने श्वसुर श्री वेणुभट्टजी से यह स्वरुप प्राप्त हुआ था. तब से इन स्वरुप की सेवा श्री महाप्रभुजी के वंश में ही होती आ रही है.
वर्तमान में श्री गोकुलनाथजी गोकुल (उत्तरप्रदेश) में विराजित एवं सेव्य हैं एवं चतुर्थ गृह के पूज्य श्री आचार्यचरण उनकी सेवा करते हैं.
लीला भावना : इंद्र के कोप से समस्त व्रजवासियों की रक्षा करने हेतु प्रभु श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपने दायें हाथ की कनिष्ठिका उंगली के नख पर धारण किया था एवं बाएं हाथ में शंख धारण कर इंद्र की अपार वर्षा के सम्पूर्ण जल को शोष लिया था.
प्रभु ने अन्य दो हाथ प्रकट कर श्री गिरिराजजी की छाँव में खड़े व्रजवासियों को सुख का दान करने हेतु वेणुवादन किया था.
इस प्रकार प्रभु श्रीकृष्ण चतुर्भुज बने. उनके बायीं ओर श्री राधिकाजी एवं दायीं ओर श्री चन्द्रावलीजी खड़ी चंवर डोल रहीं थीं.
इस प्रकार दो स्वामिनीजी के साथ चतुर्भुज स्वरुप श्री गिरिराजजी की छात्रछाया में खड़े श्री ठाकुरजी की अद्भुत लीला का स्वरुप हैं.
सभी वैष्णवों को प्रभु श्री गोकुलनाथजी के पाटोत्सव की बधाई.