व्रज – श्रावण कृष्ण एकादशी, बुधवार, 04 अगस्त 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता : आज कामिका एकादशी है. श्रीजी को दोहरा मल्लकाछ टिपारा का श्रृंगार धराया जाता है.
- मल्लकाछ एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल अर्थात कुश्ती लड़ते समय पहना करते हैं. यह बालभाव का श्रृंगार प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में फल फूल के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज श्री गिरिराज-धारण की लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में श्रीकृष्ण एवं बलदेवजी मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार में हैं एवं नंदबाबा, यशोदा जी एवं गोपियाँ प्रभु के सम्मुख हाथ जोड़ कर खड़े हैं.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी चांदी की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज एक आगे का पटका लाल एवं सफ़ेद लहरियाँ का एवं मल्लकाछ धराया जाता है. दूसरा कंदराजी का हरा एवं सफ़ेद लहरियाँ का पटका तथा मल्लकाछ धराया जाता है.
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सजे होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को श्री कंठ के श्रृंगार छेड़ान के धराए जाते हे बाक़ी श्रृंगार भारी धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के हरे मीना के धराये जाते हैं. आज प्रभु को कमलमाला भी धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है, जिसमें लाल रंग के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरे कतरा और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी एक झीने लहरिया व एक सोने के धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : गावत रसिक राय ब्रज नृपत
राजभोग : पावस नट नट्यो अखारो
हिंडोरा : आली री झुलत गोकुल के चंद
थेई थेई निर्त करत
झुलत है ब्रिज नारी
वृन्दावन झुलत है गिरवरधारी
शयन : ब्रज के आँगन में मच्यो हिंडोरे
मान : नन्द नंदन बन बोली
पोढवे : झूम झूम आई हो घटा
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में फल फूल के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं. श्री नवनीतप्रियाजी भी फल फूल के हिंडोलने में झूलते हैं.
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जय श्री कृष्ण।
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