व्रज – श्रावण शुक्ल द्वितीया, मंगलवार, 10 अगस्त 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता :
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था. ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं.
- संध्या-आरती डोल तिवारी में श्री मदनमोहन जी स्वर्ण के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज फिरोज़ी रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की किनारी की धोरेवाली पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज फिरोज़ी रंग का और गोटी बाघ-बकरी वाली पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज फिरोज़ी रंग के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर फिरोज़ी फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें फिरोज़ी रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं कटि पर दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में आरसी चार झाड़ की और राजभोग में आरसी सोने की डांडी वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : वे देखो आवत मेह
- राजभोग : ब्रज को बसवो निको
- हिंडोरा : पूर्वी कान्हरो तथा बिहाग के पद
- शयन : मचक मचक झूले
- मान : मान न कीजे पिय
- पोढवे : पोढ़े रसिक पिय प्यारी
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में स्वर्ण फलफूल के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
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जय श्री कृष्ण।
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