व्रज – भाद्रपद कृष्ण पंचमी, शुक्रवार, 27 अगस्त 2021
विशेष : आज के दिन श्रीजी में चंदरवा, टेरा, वंदनमाल, कसना, तकिया के खोल आदि बदले जाते हैं.
- आज से भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन तक सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.
- सभी बड़े उत्सवों के पूर्व श्रीजी को नियम के घर के श्रृंगार धराये जाते हैं जिन्हें घर के श्रृंगार भी कहा जाता है और इन पर श्रीजी के तिलकायत महाराज का विशेष अधिकार होता है.
जन्माष्टमी के पूर्व भी आज भाद्रपद कृष्ण पंचमी से घर के श्रृंगार धराये जाते हैं.
-इस श्रृंखला में आज श्रीजी को लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर लूम की किलंगी धरायी जाती है.
आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू आरोगाये जाते हैं. - आज ही जन्माष्टमी के दिन श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्र एवं साज के लिए सफेद मलमल एवं डोरिया के वस्त्र केसर से रंगे जाते हैं.
- वस्त्र रंगते समय नक्कारे, थाली एवं मादल बजाये जाते हैं एवं सभी वैष्णव बधाईगान करते हैं.
- राजभोग आरती पश्चात पूज्य तिलकायत परिवार के सदस्य, मुखियाजी वस्त्र रंगते हैं, वैष्णवजन और दर्जीखाना के सेवकगण अपने हाथ में रख के सुखाते हैं.
- भाद्रपद कृष्ण पंचमी के दिन ये वस्त्र रंगे जाते हैं इसका यह भाव है कि “हे प्रभु, जिस प्रकार ये श्वेत वस्त्र आज केशर के रंग में रंगे जा रहे हैं, मेरी पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँचों कर्मेन्द्रियाँ भी आज पंचमी के दिवस आपके रंग में रंग जाएँ.”
श्रीजी सेवा दर्शन : - साज सेवा के तहत श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की मलमल पर इकदानी चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया के ऊपर मेघश्याम मखमल बिछावट की जाती है
- तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र सेवा में आज लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज चार मालाजी धरायी जाती हैं.
- पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट लाल एवं गोटी स्वर्ण की छोटी धराई जाती हैं.
- आरसी श्रृंगार में स्वर्ण की छोटी एवं राजभोग में सोने की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज निम्न पदों का गान किया जाता है :
मंगला : सोहेलरा नन्द महर घर आज
राजभोग : नन्द के दधी कादो आँगन
आरती : आज तो मंदिलरा बाजे
शयन : भाग्य सबन ते न्यारो
पोढवे : गृह आवत गोपीजन
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
……………………….
जय श्री कृष्ण।
……………………….
url yutube channel
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………….