व्रज – भाद्रपद कृष्ण एकादशी, शुक्रवार, 03 सितम्बर 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज की विशेषता : आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
- श्रीजी में आज आज गुलाबी रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट गुलाबी और गोटी चांदी की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - आज गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से धोती व पटका धराया जाता है. जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची,हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- चार मालाजी धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फिरोजा के वेणुजी और एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज निम्न पदों का गान किया जाता है :
मंगला : चोरयो री मन माखन
राजभोग : तेरे री लाल मेरो माखन खायो
आरती : महार पूत तेरो कैसे हु
शयन : मोहन माखन चोरी करत
पोढ़वे : गृह आवत गोपीजन
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण।
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……………….………………………. - आज की एकादशी विशेष : महापापी अजामिल जिसने अपने अंतिम समय में अपने स्वयं के पुत्र ‘नारायण’ के नामोच्चारण के निमित प्रभु का नाम उच्चारण किया था. प्रभु की दयालुता देखें कि केवल अंत समय में ‘नारायण’ के नाम के उच्चारण मात्र से उन्होंने आज के दिन अपने देवदूत भेज अजामिल पर अनुग्रह कर उसका उद्धार किया था. प्रभु ने यह अपना अनुग्रह प्रकट करने के लिए किया इसी लिए कहते हे की प्रभु कर्तुम अकर्तुम अन्यथाकर्तुम सर्वसमर्थ है।आज की एकादशी उसी अजामिल के नाम से अजा एकादशी कहलाती है.
- ये अध्याय से यह सीख मिलती है कि हम सब पुष्टि वैष्णवो को ठाकुरजी की सेवा और नाम किर्तन सतत अंतिम श्र्वास तक करना है , कितनी भी विषम परिस्थिति हमारे जीवन में क्यों न आए ?
- ठाकुरजी की सेवा और ठाकुरजी से स्नेह यही पुष्टि जीव का लक्ष्य होना चाहिए ।
- मनुष्य चाहे जितना बड़ा पापी हो , चाहे जितना नि:साधन हो ; यदि सच्चे ह्रदय से एकबार भी प्रभु की शरण स्वीकार ले तो प्रभु उसको ” स्वजन ” मान लते हैं . इसीलिए महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्यजी ने “कृष्णाश्रयस्तोत्र” में कहा हैं :-
- “पापसक्तस्य दीनस्य कृष्ण एव गतिर्मम”
- भावार्थ :- सुखी हो या दु:खी, पापी हो या निष्पाप, धनवान हो या निर्धन , साधन-सम्पन्न हो या नि:साधन; सभी को श्रीकृष्ण की शरण में ही जाना चाहिए .
- सब देवें के देव, सर्वशक्तिमान, सर्वकारण ऐसे श्रीकृष्ण को छोड़ कर अन्य किसी की शरण में क्यों जाएँ ?
- इसीलिए पुष्टिमार्ग श्रीकृष्ण की अनन्य भक्ति का मार्ग
- दिखाता/सिखाता है.
- कल शनिवार, 04 सितम्बर 2021 को वत्स द्वादशी (बच्छ बारस) है.
राजस्थान एवं व्रज सहित उत्तर-भारत के अधिकतर भागों में आज माताएँ बछड़े सहित गाय का पूजन करती हैं और अपने पुत्र की दीर्घायु हेतु व्रत रखती हैं.
ऐसी मान्यता है कि आज के दिन गाय के दूध पर उसके बछड़े का ही अधिकार होता है अतः गाय के दूध का सेवन नहीं किया जाता. चाकू से काटी सब्जियां भी नहीं खायी जाती, गेहूं के आटे का उपयोग नहीं किया जाता अतः मक्की अथवा बाजरे की रोटी खायी जाती है. मूंग-चांवल, अनारदाना की कढ़ी, चना-चांवल मुख्य रूप से खाए जाते हैं.
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जय श्री कृष्ण।
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