व्रज – आश्विन कृष्ण चतुर्दशी, मंगलवार, 05 अक्टूबर 2020
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
साज – श्रीजी में आज पचरंगी लहरियाँ की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज पचरंगी लहरिया का सुनहरी पठानी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जायेंगे.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर पचरंगी गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. सफेद एवं पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : दान केल बनी आज
राजभोग : चलन न देत हो यह
आरती : अरे तू कब भयो दध दानी
शयन : गिरधर कोन प्रकृति तिहारी
मान : चढ़ बड बिडर
पोढवे : प्रेम के पर्यंक पोढे - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती की जाती है.
- नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- सांझी दर्शन : आज श्रीजी मंदिर के कमल चौक की हाथीपोल की देहरी व प्रांगण में श्रीमद गोकुल, ठकुरानी घाट के भाव की सांझी बनायी जाती है.
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जय श्री कृष्ण
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