व्रज: आश्विन शुक्ल नवमी, गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021
विशेष : आज नवविलास के अंतर्गत नवम विलास का लीला स्थल बंसीवट है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी लाडलीजी हैं और सामग्री मोहनथाल है.
सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के पूर्व लाल वस्त्र, पीले ठाड़े वस्त्र एवं पाग पर सादी चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
- यह श्रृंगार प्रभु को अनुराग के भाव से धराया जाता है.
- श्रीजी को आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में नवविलास के भाव से विशेष रूप से मोहनथाल की सामग्री अरोगायी जाती है.
श्रीजी दर्शन - साज सेवा में आज श्रीजी में लाल रंग के छापा वाली सुनहरी ज़री की किनारी और हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को लाल रंग के छापा के सुनहरी एवं रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की छापा की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
- आज पन्ना की चार माला धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ विविध पुष्पों की एक एवं दूसरी गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है.
- पट लाल व गोटी छोटी सोना की आती है.
- आरसी श्रृंगार में सोना की डाँडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : जान्यो जान्यो री सयान
राजभोग : तेसोई तरुण तनया तीर
आरती : सुन मुरली की टेर
शयन : नेक सुनाओ मोहन मुरली
मान : आज अजन दियो राधिका नैन
पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडिली संग - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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सातौ विलास कियौ श्यामाजू, गह्वर वनमें मतौजू कीन ।
मुख्य कृष्णावती सहचरी, लघु लाघव अति ही प्रवीन ।। १ ।।
बनदेवी हे गुंजा कुंजा, पुहुपन गुही सुमाल ।
चंद्रावली प्रमुदित बिहसत मुख, मुख ज्यों मुनिया लाल ।। २ ।।
रच्यौ खेल देवी ढिंग युवती, कोक कला मनोज ।
अति आवेश भये अवलोकत, प्रगटे मदन सरोज ।। ३ ।।
कोऊ भुजधर कर चरन उर कोऊ, अंग अंग मिलाय ।
कुंवर किशोरकिशोरी रसिकमणि, दास रसिक दुलराय ।। ४ ।।
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जय श्री कृष्ण
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