व्रज – कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा, गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021
विशेष : आज श्रीजी को अन्नकुट पर गोवर्धन लीला के अन्तर्गत गाए जाने वाले ‘अपने अपने टोल क़हत ब्रिजवासिया’ के उपरोक्त पद के आधार पर पीत दुमाला का श्रृंगार धराया जाता है.
- जिसमें प्रभु को श्रीमस्तक पर पीले मलमल का बीच का दुमाला, पटका व तनिया धराया जाता है. गोवर्धन पूजा के पद गाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन : - साज सेवा में आज श्रीजी में लाल रंग के हांशिया वाली श्याम मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. जिसमें गायों का चित्रांकन किया गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे श्रीजी गायों के मध्य विराजित हों. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है. चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं. पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को फ़िरोज़ी ज़री का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराया जाता है. – ठाड़े वस्त्र लाल दरियाई रेशमी वस्त्र के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण विशेष रूप से मोती के धराये जाते हैं.
- श्री मस्तक पर पीले मलमल का बीच का दुमाला, मोर चन्द्रिका, एक कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ तथा झुमकी वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कमल माला धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट चांदी का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.
- आरसी नित्य की दिखाई जाती हैं.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर बीच का दुमाला ही रहता है और लूम तुर्रा नहीं धराये जाते.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : गोप समाज जुड़े जमनातट (बिलावल)
राजभोग : हमारो देव गोवेर्धन पर्वत
आरती : अपुने अपुने टोल कहत
शयन : जयत जयत श्री हरिदास वरिय धरने
मान : राधिका आज आनंद में
पोढवे : पोढ़ीये पिय कुँवर कन्हाई
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जय श्री कृष्ण
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