व्रज – कार्तिक शुक्ल चतुर्थी, सोमवार, 08 नवम्बर 2021
विशेषता : आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- आज से प्रभु सम्मुख के गादी, चरणचौकी खंडपाट आदि की खोल पर से लाल मख़मल के खोल उतार कर सफ़ेदी के खोल आते हैं.
- ये इन्द्रमान भंग के दिन है अतः कार्तिक शुक्ल तृतीया से अक्षय नवमी तक इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन : - साज सेवा : आज श्रीजी में गुलाबी रंग की ज़री की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं. पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है. सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
वस्त्र सेवा : श्रीजी को आज गुलाबी सलीदार ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं. - श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी ज़री की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा तथा गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट गुलाबी व गोटी मीना की आती है.
- सायंकालीन सेवा परिवर्तन :-
प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती उपरांत बड़े (हटा) कर शयन समय छोटे (छेड़ान के) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर चीरा पर लूम तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं. - श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : गोवर्धन नख पर धर्यो
राजभोग : राखो अपनी ओट
आरती : सांवरे बल गई भुजन की
शयन : मत गिर गिरे गोपाल के
मान : हरी बोलत चल गोकुल की नारी
पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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