व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी, मंगलवार, 07 दिसम्बर 2021
विशेष : शीतकाल में श्रीजी को चार बार सेहरा धराया जाता है. इनको धराये जाने का दिन निश्चित नहीं है परन्तु शीतकाल में जब भी सेहरा धराया जाता है तो प्रभु को मीठी द्वादशी आरोगाई जाती हैं. आज प्रभु को साठा के रस की लापसी (द्वादशी) आरोगाई जाती हैं.
आज श्रीजी को केसरी रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली चाकदार वागा का श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
साज – श्रीजी में आज लाल रंग के आधारवस्त्र पर विवाह के मंडप की ज़री के ज़रदोज़ी के काम से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है जिसके हाशिया में फूलपत्ती का क़सीदे का काम एवं जिसके एक तरफ़ श्रीस्वामिनीजी एवं दूसरी तरफ़ श्रीयमुनाजी विवाह के सेहरा के शृंगार में विराजमान हैं. गादी, तकिया पर लाल रंग की एवं चरणचौकी पर सफ़ेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी रंग का साटन का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं एवं केसरी मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं. केसरी ज़री के मोजाजी भी धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. फिरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर केसरी रंग के दुमाला के ऊपर फिरोज़ा का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सेहरा पर मीना की चोटी दायीं ओर धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है.
लाल एवं पीले पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी एवं गोटी उत्सव की आती हैं.
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के शृंगार सेहरा एवं श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं पर दुमाला बड़ा नहीं किया जाता हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर दुमाला पर टिका एवं सिरपेच धराये जाते हैं. लूम-तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.
अनोसर में दुमाला बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.
संध्याकालीन सेवा :-
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : जेसोई श्याम नाम ते तन कियो श्याम
राजभोग : राधेजू नव दुलही दुल्हे मदन गोपाल
आरती : राधा प्यारी दुल्हन जू को
शयन : अरी चल दुल्हे देखन जाए
मान : राधेजु के प्राण
पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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