व्रज – पौष कृष्ण चतुर्थी, गुरुवार, 23 दिसम्बर 2021
विशेष : – आज श्रीजी में पाँचवीं (रुपहरी) घटा के दर्शन.
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की द्वादश घटाओं के दर्शन होते हैं.
- घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है. चन्द्रमा के भाव के व बधाई के कीर्तन गाये जाते हैं.
श्रीजी दर्शन :-
- साज सेवा में आज रुपहरी ज़री की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया, खंड एवं चरणचौकी पर सफेद मलमल की बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को रुपहरी ज़री का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी रुपहरी ज़री के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्री कंठ में आज एक दुलड़ा व एक सतलड़ा हार विशेष धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर रुपहरी ज़री की गोलपाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, रुपहली ज़री का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरे के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ पुरे दिन भर श्वेत पुष्पों की फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- मोती की एक अन्य माला हमेल की भांति भी धरायी जाती है.
- पीठिका के ऊपर चांदी का चौखटा धराया जाता है.
- श्रीहस्त में चांदी के रत्नजड़ित वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट रूपहरी ज़री का व गोटी चाँदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा :
मंगला : नन्द नंदन वृन्दावन चन्द
राजभोग : जयति रुक्मणी नाथ पद्मावती
आरती : हों विट्ठलनाथ पत्र की छैया
शयन : विट्ठलनाथ चन्द उग्यो जग में
मान : तेरी री मनायवे ते निको री लागत
पोढवे : दोऊ मिल करत भावती बतियाँ - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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चमक आयो चंदसो मुख कुंजते जब निकसी ।
सुंदर सांवरो किशोर गोहन लाग रहे चकोर ललितादिक कुमुदावलि निरख नयन विकसी ।।
पहिरे तन श्वेत सारी मानों शरद उजियारी
मानों सुधासिंधु मध्य दामिनी घसी ।
कहत भगवान हित रामराय प्रभु प्यारी वश कीने कुंजविहारी छबि निरख मंद हसी ।।
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कीर्तन – (राग : सारंग)
जयति रुक्मणी नाथ पद्मावती प्राणपति व्रिप्रकुल छत्र आनंदकारी l
दीप वल्लभ वंश जगत निस्तम करन, कोटि ऊडुराज सम तापहारी ll 1 ll
जयति भक्तजन पति पतित पावन करन कामीजन कामना पूरनचारी l
मुक्तिकांक्षीय जन भक्तिदायक प्रभु सकल सामर्थ्य गुन गनन भारी ll 2 ll
जयति सकल तीरथ फलित नाम स्मरण मात्र वास व्रज नित्य गोकुल बिहारी l
‘नंददास’नी नाथ पिता गिरिधर आदि प्रकट अवतार गिरिराजधारी ll 3 ll
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